सालरिया स्कूल की जर्जर हालत, ड़र के साये में मासूम, एक कमरे में चल रही तीन कक्षाएं
सवाईपुर ( सांवर वैष्णव ) शिक्षित होना और शिक्षा व्यवस्था का मजबूत होना आज के समय में बेहद जरूरी है । शिक्षा जहां दी जाती है और जहां बच्चे शिक्षित होते हैं, उस जगह का सुरक्षित होना भी आवश्यक है। विद्यालय जहां आप शिक्षा पाकर ही अपने आप को, अपने परिवार और अपने समाज को सुरक्षित रख सकते हैं, लेकिन अगर वही जगह सुरक्षित महसूस न करवा पाए तो? मतलब जहां आप बैठकर शिक्षा ले रहे हो या शिक्षा दे रहे हो तो क्या विद्यालय के ढांचे में वो मजबूती है? जिससे आप ध्यान लगाकर ये काम पूरा कर सको। यदि स्कूल की इमारत ही जर्जर हो या उनकी दीवारों और छत इतनी कमजोर हो कि देखकर हमेशा ये डर बना रहे की अभी गिर जाएगी । कल झालावाड़ जिले के पीपलोदी के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय का हादसा इसकी सच्चाई है, जिसका कमरा छत सहित एकाएक भर-भरा कर धराशाई हो गया, जिसके नीचे दबने से सात मासूम बच्चों की मौत हो गई, वही कई बच्चे घायल हो गए । ऐसे ही सवाईपुर क्षेत्र के सालरिया गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय का जर्जर भवन खतरों से कम नहीं है, क्योंकि यहां के भवन की हालत बहुत ही खराब हो चुकी है, वही जर्जर भवन के कई कमरों की पत्तियां टूटने के साथ ही कुछ कमरों में दरारें भी आ रहे हैं, विद्यालय में दो कमरों की पत्तियां टूटने के चलते उन कमरों को विगत दो साल से बंद कर रखा है, वही दो-तीन अन्य कमरे हैं जिनमें भी दरारें आने के चलते उन कमरों में कक्षाएं संचालित नहीं की जाती हैं । वर्तमान बारिश के समय में विद्यालय की 4 कमरों में नियमित 8 कक्षाएं चलाई जा रही है, जिनमें भी दो-तीन कक्षाओं को एक साथ बैठाकर पढ़ाई करवाई जा रही है, जर्जर भवन होने के चलते व दीवारों पर दरार आने के चलते कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है, इसको लेकर ग्रामीणों व विद्यालय के द्वारा कई बार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को अवगत करवाया गया, लेकिन फिर भी समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ, वही स्कूल में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र का कमरे की दीवार पर चारों तरफ दरारें आ रही है, जिसके चलते कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, इसको लेकर सरकार को समय रहते सचेत होने की जरूरत है ।।
इनका यह कहना
वर्तमान में चार कमरों में कक्षा में संचालित की जारी हैं विद्यालय में दो कमरों की पत्तियां टूटने के चलते 2 साल से बंद कर रखे हैं वहीं कुछ कमरों में दरारें आने के चलते उन्हें भी बंद किया कर रखा है चार कमरों में आठ कक्षा चले जा रहे हैं जिसमें एक कमरे में तीन तो दो कमरों में दो-दो कक्षाएं एक साथ कर बैठ कर पढ़ाई करवाई जा रही है कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया गया, अब तक इसका कोई समाधान नहीं हुआ, जर्जर भवन होने के चलते कई बार बच्चों को बाहर बरामदे में बिठाकर पढ़ाई करवानी पड़ती ।।
- किशन सिंह राठौड़ कार्यवाहक प्रधानाध्यापक
झालावाड़ का हादसा आगे फिर नहीं हो इसके लिए सरकार को ऐसे स्कूलों की सूची बनाकर बननी चाहिए जिसके भवन 40 50 सालों से पुराने हैं उन रहकर नए भवन बनाए जाए हमारे स्कूल की जर्जर हरत होने पर पिछले 10 सालों से हम मीडिया के जरिए हुए अधिकारियों को पत्र विज्ञापन भेज कर कई बार अवगत कराया गया फिर भी इस और कोई ध्यान नहीं दिया जा रहे हैं जिसके चलते कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है अगर झालावाड़ जैसा हादसा यहां होता है तो इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी ।।
- कालू लाल सुवालका ग्रामीण
- हमारे स्कूल के चार कमरों में से कुछ में दरारें आ रही हैं, तो कुछ की पट्टियां टूटी हुई है, बारिश में बहुत परेशानी होती है, बाहर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती हैं, शिक्षा मंत्री जी से प्रार्थना करते हैं कि या तो हमारी स्कूल को नई बनाई जाए या फिर इसकी रिपेयरिंग करवाई जाए ।।
प्रीति गुर्जर छात्र कक्षा 7
- हमारे विद्यालय के कमरों की पट्टियां टूट रही हैं, वही उसमें दरार भी आ रहे हैं, हम दो-तीन कक्षाएं एक कमरे में बैठकर पढ़ाई करते हैं, विद्यालय के कमरों के बहुत खराब है, मुख्यमंत्री जी से निवेदन करते हैं कि हमारे विद्यालय को अच्छा करें ।।
धर्मराज बलाई कक्षा 8
