एक देश-एक चुनाव पर भीलवाड़ा के शिक्षकों व मजदूर संगठनों ने कहा बारे बारे चुनाव से नुकसान, कराया जाए सर्वेक्षण

एक देश-एक चुनाव पर भीलवाड़ा के शिक्षकों व मजदूर संगठनों ने कहा बारे बारे चुनाव से नुकसान, कराया जाए सर्वेक्षण
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भीलवाड़ा हलचल। एक देश-एक चुनाव को लेकर संसदीय समिति अब रायशुमारी को केवल राज्यों और संविधान विशेषज्ञों तक सीमित नहीं रखेगी। अब इसमें सीधे तौर पर प्रभावित होने वाले शिक्षकों, मजदूरों और उद्योग जगत को भी शामिल किया जाएगा।


शिक्षकों व श्रमिक संगठनों से राय

भीलवाड़ा समेत प्रदेशभर के शिक्षकों व श्रमिक संगठनों से जल्द ही सर्वेक्षण के माध्यम से सुझाव लिए जाएंगे। चुनावी ड्यूटी के चलते यहां स्कूल-कॉलेजों की पढ़ाई ठप हो जाती है। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक अनिल वर्मा ने कहा कि “हर चुनाव में कई हफ्तों तक बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। एक देश-एक चुनाव से पढ़ाई का नुकसान कम होगा।” एक अन्य शिक्षिका अनीता का कहना हे कि ये एक अच्छा कदम है।

समिति कर चुकी है 12 बैठकें

समिति अब तक संविधान विशेषज्ञों के साथ करीब 12 बैठकें कर चुकी है। हिमाचल, उत्तराखंड, चंडीगढ़ सहित छह राज्यों का दौरा भी कर चुकी है। अब यह उद्योग जगत और श्रमिक संगठनों से बातचीत पर फोकस कर रही है। माना जा रहा हे की भीलवाड़ा और राजस्थान को भी इससे जोड़ा जाए।

उद्योग जगत पर असर

भीलवाड़ा का टेक्सटाइल उद्योग हर चुनाव में प्रभावित होता है। मजदूर छुट्टी लेकर गांव लौट जाते हैं और कई बार महीनों तक वापस नहीं आते। भीलवाड़ा में कपड़ा कारोबारी राकेश मंडोवरा ने कहा कि “चुनाव आते ही मजदूर फैक्ट्रियों से अपने घर बिहार यूपी एमपी चले जाते हैं। इससे उत्पादन और समय पर सप्लाई पर असर पड़ता है। अगर एक साथ चुनाव होंगे तो उद्योगों पर बोझ कम होगा।”

श्रमिक संगठन की चिंता

मजदूर नेता पन्नालाल चौधरी का कहना है कि चुनाव में “बार-बार छुट्टियां लेने से मजदूरों की आय घट जाती है। लगातार चुनाव से उन्हें असुरक्षा रहती है। समिति अगर हमारी राय शामिल करती है तो मजदूरों को राहत मिल सकती है।”


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