आटूण में शमशान के रास्ते के लिए तरस रहा बलाई समाज, लोगों में आक्रोश
आटूण। भीलवाड़ा ज़िले की पंचायत समिति सुवाणा के ग्राम पंचायत आटूण में बलाई समाज के लोगों को अपने मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वर्षों से शमशान तक जाने का कोई पक्का रास्ता नहीं बना है, जिसके कारण समाज के लोगों को कंटीले रास्तों से गुजर कर शवों को शमशान तक ले जाना पड़ता है। इस समस्या को लेकर बलाई समाज में गहरा रोष व्याप्त है।
स्थानीय निवासी छोटू लाल बलाई ने बताया कि इस समस्या के समाधान के लिए कई बार पंचायत के सरपंचों और अधिकारियों को अवगत कराया गया, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ झूठे आश्वासन ही मिले। "हर बार चुनावों के समय बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन जीत के बाद कोई नहीं पूछता।
बलाई समाज के बुजुर्गों का कहना है कि कई पीढ़ियों से यह समाज गांव में निवास कर रहा है, लेकिन आज तक उनकी बुनियादी सुविधाओं की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। समाज के लोगों ने पंचायत से लेकर जिला प्रशासन तक कई बार अवगत करा चुके लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
आज गांव में हुई एक मौत को लेकर करीब दो किलोमीटर की दूरी पर बने शमशान तक ले जाना पड़ा। रास्ते में कीचड़, कंटीली झाड़ियाँ होने के कारण समाज के लोगों और परिजनों को भारी दिक्कतें उठानी पड़ीं। जिससे लोगों में आक्रोश है।
बलाई समाज का कहना है कि पंचायत विकास के नाम पर लाखों रुपये खर्च करती है, लेकिन समाज की मूलभूत ज़रूरतों की अनदेखी की जाती है। "जब हम अधिकारों की बात करते हैं, तो हमें अनदेखा कर दिया जाता है।
समाज ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही शमशान तक पक्का रास्ता नहीं बनाया गया तो आने वाले चुनाव में मत का बहिष्कार करेंगे। युवाओं का कहना है कि अब केवल वादों से बात नहीं बनेगी, ज़मीनी कार्यवाही चाहिए।
गांव के अन्य समुदायों के कुछ लोगों ने भी इस मांग को जायज़ बताया है। उनका कहना है कि अंतिम संस्कार जैसी आवश्यक सुविधा को नज़रअंदाज़ करना अमानवीय है।
