छठ पूजा की तैयारियां चरम पर: महिलाओं ने किया खरना पूजन,आज होगा अस्ताचलगामी अर्घ्य

भीलवाड़ा (हलचल)। कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाए जाने वाले छठ महापर्व की तैयारियां भीलवाड़ा में जोरों पर हैं। रविवार को पर्व के दूसरे दिन महिलाओं ने पूरे विधि-विधान और श्रद्धा भाव के साथ खरना पूजन किया। इसके साथ ही 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत आरंभ हो गया है, जो मंगलवार की भोर में उदयाचल सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ पूर्ण होगा।
घाटों पर छठी मैया के गीतों की गूंज
सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य (संध्या अर्घ्य) के पूजन की तैयारियां पूरे दिन चलती रहीं। नगर के प्रमुख घाटों – नहेरु तलाई मानसरोवर और वाटर वर्क्स , पर सफाई व सजावट का कार्य रविवार देर रात तक जारी रहा। छठ घाटों पर पंडाल लगाए गए हैं, रंग-बिरंगी लाइटों से घाटों को सजाया जा रहा है। हर ओर छठी मैया के गीतों की गूंज माहौल को भक्तिमय बना रही है।
पूजन सामग्री की खरीद में उमड़ी भीड़
बाजारों में पूजन सामग्री, फल, गन्ना, नारियल, सुपारी, केले और ठेकुआ की खरीदारी के लिए महिलाओं की भारी भीड़ रही। दुकानों पर भोर से ही रौनक बनी हुई है। हर घर में छठी मैया के लिए प्रसाद तैयार किया जा रहा है। विशेष रूप से ठेकुआ की खुशबू पूरे वातावरण को पवित्र बना रही है।
नंगे पांव घाटों की ओर निकलेंगी व्रती महिलाएं
सोमवार दोपहर तीन बजे के बाद से ही व्रती महिलाएं नंगे पांव घाटों की ओर प्रस्थान करेंगी। घाट पहुंचने के बाद वे पहले वेदी पूजन करेंगी, फिर छठी मैया की आराधना कर जल में खड़ी होकर भगवान सूर्य को अस्ताचलगामी अर्घ्य देंगी। अर्घ्य के पश्चात सुहागिनें एक-दूसरे की मांग में सिंदूर भरकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगेंगी।
रात्रि में कथा और भक्ति संगीत का आयोजन
अर्घ्य अर्पण के बाद श्रद्धालु घर लौटेंगे और रात भर छठ मैया की कथा का श्रवण करेंगे। कई स्थानों पर भजन संध्या और सामूहिक आरती के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। घर-घर छठी मैया की स्तुति और भक्ति गीतों की ध्वनि वातावरण को आध्यात्मिक बना देगी।
सुरक्षा व स्वच्छता के विशेष प्रबंध
नगर निगम और पुलिस प्रशासन ने भी पर्व को देखते हुए विशेष प्रबंध किए हैं। घाटों पर प्रकाश, सुरक्षा, और स्वच्छता की व्यवस्थाएं की गई हैं। महिला पुलिसकर्मी तैनात रहेंगी ताकि व्रती महिलाओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
छठी मैया का प्रिय भोग — ठेकुआ
पूजन के लिए बनाए जाने वाले पकवानों में ठेकुआ को सबसे पवित्र और मुख्य भोग माना गया है। गेहूं के आटे, घी और गुड़ से बनाए जाने वाला यह प्रसाद छठ मैया को अर्पित किया जाता है। व्रतियों का मानना है कि इससे परिवार में सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
