100 ₹ के स्टाम्प पर लीज समझौता: भीलवाड़ा में बजरी खनन पर सवाल !

भीलवाड़ा। भीलवाड़ा जिले के रायपुर क्षेत्र के ग्राम धूलखेड़ा में बजरी खनन को लेकर एक दिलचस्प मामला सामने आया है। ग्रामीणों और एक निजी लीजधारक के बीच बजरी खनन की अनुमति को लेकर ₹100 के स्टाम्प पेपर पर समझौता हुआ है, जिसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह दस्तावेज़ 7 मई 2025 को नोटरी सत्यापित किया गया है और इसमें लीज संचालन, शुल्क, कानूनी जिम्मेदारियों और सामाजिक सहयोग जैसी 11 शर्तें तय की गई हैं। लेकिन, कानूनी जानकारों का कहना है कि यह समझौता कई गंभीर सवाल खड़े करता है।
क्या है कानूनी पेंच?
कानून के जानकारों के अनुसार, ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट और रजिस्ट्रेशन एक्ट कहते हैं कि अगर खनन से जुड़ा कोई भी लीज एग्रीमेंट एक साल से ज़्यादा के लिए है या उसमें पैसे का लेन-देन शामिल है, तो उसका रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है। ऐसे में, ₹100 के स्टाम्प पेपर पर बिना रजिस्ट्रेशन और खनन विभाग की अनुमति के किया गया समझौता कानूनी तौर पर कितना सही है, यह सोचने वाली बात है।
स्थानीय लोगों के आरोप
स्थानीय लोगों का कहना है कि बजरी खनन को लेकर नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। उनका आरोप है कि अगर यह लीज अवैध है, तो इससे सरकार को राजस्व का नुकसान होगा और खनन माफिया को बढ़ावा मिलेगा।
पर्यावरण का मुद्दा
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48A के अनुसार, पर्यावरण की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है। अगर खनन अवैध तरीके से किया जा रहा है, तो यह पर्यावरण कानूनों और लोगों के अधिकारों का उल्लंघन होगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है और क्या प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई करता है। क्या यह समझौता कानूनी जांच में खरा उतरेगा या फिर इसे रद्द कर दिया जाएगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।