16 जिले के कृषि वैज्ञानिकों एवं प्रगतिशील कृषकों का केवीके गाँधीनगर पर भ्रमण

भीलवाड़ा। राजस्थान के 16 जिलों के कृषि वैज्ञानिकों एवं प्रगतिशील कृषकों द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र गाँधीनगर भीलवाड़ा पर भ्रमण किया गया केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सी. एम. यादव ने केन्द्र की गतिविधियों से किसानों को रूबरू करवाते हुए केन्द्र द्वारा आयोजित प्रशिक्षण, प्रदर्शन, प्रक्षेत्र परीक्षण, समन्वित कृषि प्रणाली, उन्नत पशुपालन, कृषि में नवीनतम तकनीकी का प्रयोग, कृषि यन्त्रिकरण एवं प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तार से बताया। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के अन्तर्गत प्राकृतिक खेती मिशन के नोडल ऑफीसर डॉ. रविकान्त शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने एवं किसानों में प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता लाने के लिए निरन्तर प्रयास किए जा रहे है साथ ही प्राकृतिक खेती के विस्तार एवं किसानों में क्षमता विकास के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र पर संस्थागत प्रशिक्षण आयोजित किए जाते है जिनमें जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, वापसा, दशपर्णी अर्क, ब्रह्मास्त्र, अग्नि अस्त्र आदि का बनाना और कृषि में इनकी उपयोगिता के बारे में किसानों को प्रायोगिक एवं सैद्धान्तिक आधार पर अवगत करवाया जाता है। डॉ. शर्मा ने बताया कि पिछले कई वर्षों से हम रासायनिक कीटनाशकों का अंधाधुन्ध प्रयोग फसलों पर करते आ रहे है जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति समाप्त हो चुकी है और भूमि के प्राकृतिक स्वरूप में भी बदलाव हो रहे है जो किसानों के लिए काफी नुकसान दायक है। तकनीकी सहायक अनिता यादव ने प्राकृतिक खेती के प्रमुख घटक बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत, दशपर्णी, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र एवं अग्नि अस्त्र बनाने हेतु आवश्यक सामग्री एवं बनाने की विधि को विस्तार से समझाया। वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता संजय बिश्नोई ने बताया कि प्राकृतिक खेती बिना लागत एवं उपलब्ध संसाधनों के द्वारा ही की जा सकती है जिससे किसानों पर आर्थिक भार नही पड़ता है। कार्यक्रम में 38 वैज्ञानिकों एवं प्रगतिशील कृषकों की सहभागिता रही।