सेल्स प्रमोशन एम्प्लॉई एक्ट को बचाने और लेबर कोड खत्म करने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, जलाई प्रतियां

भीलवाड़ा। राजस्थान मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव्स यूनियन ने भारत के माननीय प्रधानमंत्री को जिला कलेक्टर के माध्यम से एक महत्वपूर्ण मेमोरेंडम सौंपा है। इसमें 21 नवंबर 2025 से लागू होने वाले नए चार लेबर कोड और उनके सेल्स प्रमोशन एम्प्लॉईज़ (SPEs) पर संभावित गंभीर प्रभावों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की गई है।
यूनियन के असली सदस्य, जो फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव्स एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया (FMRAI) से जुड़े हैं, का कहना है कि सेल्स प्रमोशन एम्प्लॉई (कंडीशन्स ऑफ सर्विस) एक्ट, 1976 SPEs की सेवा शर्तों को विनियमित करने के लिए विशेष रूप से बनाया गया था। यह कानून FMRAI द्वारा राज्यसभा की कमिटी ऑफ पिटीशन्स के समक्ष उठाए गए मुद्दों के बाद अस्तित्व में आया था। संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद इसे 25 जनवरी 1976 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली और 6 मार्च 1976 से लागू किया गया। बाद में केंद्र सरकार ने इसके दायरे को 10 अन्य उद्योगों तक विस्तारित किया।
अगस्त 2017 में आयोजित इंडस्ट्रियल ट्राइपार्टाइट कमिटी की बैठक में भी इस एक्ट के सेक्शन 12 के तहत कानूनी काम के नियम बनाए जाने की सिफारिश की गई थी। इसके बावजूद अब तक इन नियमों को अधिसूचित नहीं किया गया, जबकि SPEs लगातार इसकी मांग कर रहे हैं।
इसी बीच, यूनियन ने आरोप लगाया है कि SPEs की मांगों की अनदेखी करते हुए इस विशेष कानून को ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड (OSH कोड) में शामिल कर रद्द कर दिया गया है। इससे SPE एक्ट के तहत मिले अधिकारों और सुरक्षा को कम कर दिया गया है, जिससे लाखों SPEs के सामने असुरक्षा की स्थिति पैदा हो गई है। यूनियन का कहना है कि नए कोड मालिकों को अधिक मनमानी करने की अनुमति देंगे और SPEs को और अधिक कमजोर स्थिति में धकेल देंगे।
इस पृष्ठभूमि में यूनियन ने प्रधानमंत्री के समक्ष तीन प्रमुख मांगें रखी हैं:
1. गैर-संवैधानिक और मनमाने तरीके से लेबर कोड लागू करना बंद किया जाए
2. सेल्स प्रमोशन एम्प्लॉई (कंडीशन्स ऑफ सर्विस) एक्ट, 1976 को सुरक्षित रखा जाए
3. एक्ट के सेक्शन 12 के तहत कानूनी काम के नियम तुरंत बनाए और अधिसूचित किए जाएं
यूनियन का कहना है कि जब तक SPEs के अधिकारों की वास्तविक सुरक्षा नहीं की जाती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
