शौभायात्रा निकाली, संस्कार भागवत और 108 तुलसी विवाह संपन्न

पोटलां। सनातन संस्कृति का मूल आधार शालिग्राम पूजन है। शालिग्राम को जिस जल में डाल दो वह गंगाजल हो जाता है। शालिग्राम जल पूजन से आत्मा में व्याप्त विकार और दोष दूर होते हैं। तुलसी शालिग्राम विवाह आदर्श प्रेरणा का परिचायक है। यह बात निंबाहेड़ा गौशाला के संत पंडित राधेश्याम सुखवाल ने कही। वे विश्व सनातन हिंदू रक्षा संघ के घर -घर तुलसी शालिग्राम महाअभियान के तहत सांवलिया जी मंदिर पर भागवत संस्कार कथा में बोल रहे थें । उन्होंने कहा कि बच्चों को बचपन से ही धार्मिक संस्कारों से जोड़ेंगे तो द्वेषता नहीं रहेगी। बच्चों का पूरा जीवन आनंद मय रहेगा। भक्त नेमा, मीराबाई और कर्मा बाई ने जब भगवान को भोग लगाया तो उनकी आयु मात्र 7-8 वर्ष की थी। तुलसी विष्णु को शिरोधार्य कर ही चढ़ाई जाती है। बच्चे बचपन से ही शिव की साधना आराधना तपस्या करें तो उनके जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं आ सकता है। लोग अपनी बेटी का विवाह करने के लिए उच्च परिवार, उच्च व्यवसाय, देखते हैं। शंकर भगवान के तो परिवार का ही पता नहीं था। संसार के सभी माता-पिता अपनी बेटी को परिवार सहित प्रसन्न रूप में देखना चाहते हैं। माता-पिता की सेवा से बढ़कर संसार में कोई बड़ा धर्म नहीं। मां का ऋण संसार में कोई उतार नहीं सकता है। राजनेताओं से अपने गृह क्षेत्र में सड़के बिजली के विकास कार्यों की मांग नहीं करें उनसे अपने बेटे बेटियों के और अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाने की बात करें। बेटे के जन्म पर खुशियां सभी मनाते हैं बेटियों के जन्म पर खुशियां बिरले ही लोग मानते हैं। शिव पार्वती विवाह परंपरा सनातन संस्कृति है। लिव इन रिलेशनशिप के कानून को समाप्त करना चाहिए। यह भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं है। इस अवसर पर संत राधेश्याम सुखवाल का सम्मान किया गया। महाराज ने कन्यादान दुल्हन की विदाई, तोरण द्वार, पूजन,नारद मुनि संवाद,विवाह, मीरा, विष्णु, प्रसंग महत्व पर वर्तमान परिपेक्ष्य में महत्व प्रतिपादित किया। तुलसी विवाह आरती संस्कार भागवत कथा में पोथी पूजन और आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।
"तुलसी शालिग्राम विवाह बारात में झूमे श्रद्धालु"
भगवान शालिग्राम जी की बारात बस स्टैंड से बैंड बाजे भजन कीर्तन के साथ प्रारंभ हुई जो बाजार, चारभुजा नाथ मंदिर, सदर बाजार, जीनगर चौक, भेरूजी मंदिर, खटीक मौहल्ला, सत्यनारायण मंदिर सहित प्रमुख मार्गो से होती हुई सांवलिया जी मंदिर विवाह मंडप पंडाल पहुंचकर धार्मिक सामूहिक 108 तुलसी विवाह कार्यक्रम में परिवर्तित हो गई। बारात में महिला- पुरुष श्रद्धालुओं ने अपने हाथों में लड्डू गोपाल लिए सहभागी बने। इस अवसर पर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे छोटो सो कन्हैया मेरा बांसुरी बजावे यमुना जी किनारे रास रचाए... प्यारी प्यारी जोड़ी लग राधेश्याम की...बहारों फूल बरसाओ मेरे भगवान आए हैं आज मेरे श्याम की शादी है सांवरिया सेठ दे दे थारो भरीयोडो भंडार छोटो ना पड़े... बन्नो म्हारो चारभुजा रो नाथ बन्नी म्हारी तुलसा लाड़ली लाल जोड़े में ऐसे शरमाई रे मेरी तुलसा दुल्हन बनके आई रे...., आदि भजनों पर बाराती झुम उठे। शालिग्राम बारात तुलसी विवाह के साथ ही कार्यक्रम का समापन हुआ इस दौरान लोगों द्वारा कार्यकर्ताओं दुपर्णा पहनाकर स्वागत किया गया।
