तप करना सरल, सत्य की साधना कठिन- साध्वी डा.दर्शन लता
आसींद (सुरेन्द्र संचेती) जहा धर्म है वहा पर सत्य की जीत होती है। पृथ्वी सत्य के आधार पर ही टिकी हुई है। झूठ बोलने वाले पर कोई भी विश्वास नहीं करता है, सत्य बोलने वाले को भगवान की उपमा दी गई है। सत्य की साधना करना कठिन है,तपस्या करना सरल है।अधिकांश झूठ व्यक्ति अपने स्वभाव से बोलता है। क्रोध,लोभ, भय, हंसी मजाक में व्यक्ति झूठ बोलता है। क्रोध में जो व्यक्ति बोलता है वह अधिकांश झूठ ही होता है। दूसरा लोभ में व्यक्ति झूठ बोलता है, सत्य बोलकर भी व्यापार अच्छा किया जा सकता है। तीसरा व्यक्ति भय के कारण झूठ बोलता है। चौथा व्यक्ति हंसी मजाक में झूठ बोलता है। उक्त विचार महासती डा. ज्ञानलता की शिष्या साध्वी डा. दर्शन लता ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए। आपकी शुभ निश्रा में आसींद में आगामी 9 जून को दीक्षा भी आयोजित होगी।
साध्वी ने कहा कि जो व्रतो का पालन करे वो ही श्रावक कहलाता है। श्रावक को उपासक, अणुवर्ती,देशगति के नाम से भी पुकारा जाता है। व्यक्ति को सदेव अपनी वाणी पर नियंत्रण करना चाहिए। वाणी सदेव मीठी बोलनी चाहिए जिससे किसी के मन को ठेस नही पहुंचे। वाणी बोलते समय निम्न बातों की सावधानी रखनी चाहिए। कम बोलना, कम लोगो से बोलना, काम से ही बोलना,कड़वा नही बोलना चाहिए। जीवन में सत्य को समझे, सत्य का प्रयोग करे, सत्य पर विश्वास करे। ज्ञानशाला के बच्चो का भी पांच दिवसीय शिविर का सफल आयोजन किया गया।