मौन साधना करने से जीवन निर्मल बनता- साध्वी डा. दर्शन लता

आसींद (सुरेंद्र संचेती) मुमुक्ष प्रकाश चंद की दीक्षा को लेकर चल रहे पंच दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन मौन दिवस के रूप में कार्यक्रम महावीर भवन में आयोजित किया गया। साध्वी डा.दर्शन लता ने धर्मसभा में कहा कि जो व्यक्ति जितना कम बोलता है वह उतना ही महान है। जरूरत के अनुरूप ही बोले, वचनों को नाप तौलकर बोले। वचन अप्रिय ना हो, वचन असत्य ना हो, अहितकारी ना हो, असामायिक ना हो। भगवान महावीर स्वामी ने साढ़े बारह वर्ष तक मौन रहकर साधना की उसके पश्चात उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। साधना की शुरुआत सम्यक दर्शन से होती है। एक घंटे की शुद्ध साधना में भी इतनी ताकत होती है कि व्यक्ति मोक्ष में जा सकता है। जीवन में विचारो की शुद्धि आवश्यक है।

साध्वी ने कहा कि जीवन में धर्म को समझे,धर्म का बोध नही होने पर ही व्यक्ति झूठ बोलता है। आत्मा का लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है। सम्यक्त्व प्राप्त करने वाला भविष्य में मोक्ष में अवश्य जाता है। मुमुक्ष प्रकाश चंद आगामी 9 जून को संयम की और अग्रसर होकर दीक्षा अंगीकार करेंगे। आसींद संघ का सौभाग्य है की उन्हें यह पुण्य अवसर मिला है।

दीक्षा आयोजन की आवश्यक तैयारियां को लेकर संघ ने एक बैठक आयोजित कर कार्य का विभाजन किया है। शुक्रवार को प्रातः तारा चंद राजेंद्र कुमार रांका के निवास पर मंगल कलश की स्थापना की जायेगी। दोपहर में मेहंदी और हल्दी की रस्म एवम मंगलगीत चौबीसी गाई जायेगी। दीक्षा के आयोजन को लेकर सभी में बड़ा उत्साह दिखाई दे रहा है।

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