मुक्ति अंहकार में नहीं नवकार महामंत्र में है: साध्वी डॉ.संयमलता

मुक्ति अंहकार में नहीं नवकार महामंत्र में है: साध्वी डॉ.संयमलता
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रविवार को साध्वी डॉ.कमल प्रज्ञा का दीक्षा महोत्सव आयोजित

आसींद,18 जनवरी

धर्म से व्यक्ति आज कोसों दूर होता जा रहा है। धर्म पर लोगों का विश्वास नहीं है। धर्म पर व्यक्ति की श्रद्धा होगी तो परमात्मा भी आपका पूरा साथ देगा। अन्य धर्म के लोग आज जैन धर्म की तरफ मुड़कर उसका पालन कर रहे है। जैन धर्म वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिपूर्ण है जिस पर वैज्ञानिक आज रिसर्च कर रहे है वह 2500 वर्ष पूर्व ही भगवान महावीर ने आगम जैन ग्रन्थ में बता दी है। धर्म करने से ही आत्मा का कल्याण होगा। राग और द्वेष नरक का मार्ग है, जब तक यह समाप्त नहीं होगा तब तक मोक्ष के मार्ग की तरफ नहीं बढ़ा जा सकता है। मुक्ति अंहकार में नहीं नवकार में है। जैन दिवाकरीय मालव सिंहनी पूज्या गुरुणी कमलावती म.सा.की सुशिष्या दक्षिण चंद्रिका महासाध्वी डॉ. संयमलता म.सा. ने महावीर भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। 19 जनवरी, रविवार को प्रातः 9 बजे तप त्याग के साथ साध्वी डॉ. कमल प्रज्ञा का 17 वा दीक्षा महोत्सव मनाया जायेगा।

महासती ने कहा कि आसींद संघ में पिछले चार वर्षों से लगातार हर रविवार को नवकार महामंत्र का सामूहिक जाप चल रहा है जो अनुमोदनीय है। नवकार में अपार शक्ति विद्यमान है इसको श्रद्धा के साथ जपा जावे। जो श्रावक श्राविका जाप में नहीं पहुंच पा रहे है वह जाप में जरूर जावे। इससे बड़ा महामंत्र कोई भी नहीं है। इसके जपने से व्यक्ति सदैव आनंदमय, समृद्ध रहेगा एवं आदि व्याधि से हमेशा दूर रहेगा। जैन धर्म में अनेक मंत्र है जिनमें बहुत बड़ी ताकत विद्यमान है। जिसमें पेसठिया यंत्र क्या है इसके क्या लाभ है इसकी उत्पति कैसे हुई इसका उपयोग कैसे किया जाता है जिस पर महासती ने प्रकाश डाला। महासती ने कहा कि सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक चरित्र जैसा सद्गुण जहां से भी मिले वहां पर चले जाना चाहिए।

साध्वी डॉ.अमित प्रज्ञा, डॉ.कमल प्रज्ञा, सौरभ प्रज्ञा ने मधुर भजन की प्रस्तुति प्रदान की। धर्मसभा से पूर्व श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की नवगठित कार्यकारिणी को शपथ दिलाई गई।

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