आत्मा के उत्थान के लिए अनुष्ठान जरूरी है: साध्वी डॉ.संयमलता
आसींद, जैन धर्म में अनेक मंत्र है जिसमें सबसे बड़ा नवकार महामंत्र है। इसके जपने से नरक में जाना भी टल जाता है। महापुरुषों ने अनेक जीवों को नवकार महामंत्र सुनाया जिससे उनको बहुत फल मिला है। आत्मा के उत्थान के लिए अनुष्ठान जरूरी है । जिससे कर्मों की निर्जरा होती है। उक्त विचार महासती डॉ संयम लता ने वरिष्ठ श्रावक गणेश लाल मेहता के निवास पर आयोजित धर्म सभा में व्यक्त किए।
महासती ने कहा कि आसींद की पुण्य धरा पर पिछले 4 वर्षों से हर रविवार को नियमित नवकार महामंत्र का अनुष्ठान चल रहा है जो अनुमोदनीय है। जो परिवार अभी तक इस अनुष्ठान में किसी कारण से नहीं पहुंच पा रहे है वह जरूर जावे। नवकार महामंत्र में अपार शक्ति विद्यमान है। यह सभी मंत्रों का राजा है। इस मंत्र ने कई जीवों को तराया है इसमें 14 पूर्व का सार है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष को नमस्कार नहीं किया जाता है। बल्कि पावन सिद्ध आत्माओं और मुक्ति के साधकों, आत्माओं को नमस्कार किया जाता है। जिसे पंच परमेष्ठि कहा जाता है। आज वरिष्ठ श्रावक गणेश लाल मेहता के निवास पर व्रजपंजर स्तोत्र, भक्तामर का 45 वा श्लोक, पार्श्वनाथ स्तुति,घंटा कर्ण स्तोत्र का अनुष्ठान किया गया जिसमें सेकेंडों भक्तगणों ने भाग लिया। मेहता परिवार की महिलाओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया एवं वरिष्ठ श्रावक गणेश लाल मेहता ने महासती मंडल एवं आगंतुकों के प्रति आभार ज्ञापित किया। मंगलवार को महासती का मंगल प्रवचन प्रातः 9 बजे से महावीर भवन में आयोजित होगा।