पुण्य,प्रेम,प्रसन्नता और पवित्रता से हो पाता जीवन का मूल्यांकन: डॉ दर्शन लता

आसींद (मंजूर)। आसींद_ आसींद कस्बे के महावीर भवन में विराजित साध्वियों ने सोमवार को आयोजित धर्म सभा में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को व्याख्यान के माध्यम से बताया कि‍ जीवन में समय ऐसा है जो सभी को समान रूप से मिला हुआ है। जिसने समय को समझ कर उसका सद्पयोग कर लिया वो व्यक्ति आगे बढ़ गया और जिसने समय का अपव्यय कर दिया वो नीचे गिरता ही चला गया। हर दिन पुण्य का काम करे, पुण्य कमाना आसान है। जैन शास्त्रों के अनुसार नौ प्रकार के पुण्य बताए गए है। प्राणी मात्र के प्रति प्रेम होना चाहिए। पुण्य,प्रेम, प्रसन्नता,पवित्रता से व्यक्ति आगे बढ़ सकता है। उक्त विचार प्रवर्तिनी डॉ. दर्शनलता ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए।

साध्वी ऋजु लता ने धर्मसभा में कहा कि सज्जन व्यक्ति ही महान बन सकता है। व्यक्ति के गुणों एवं चरित्र की सदेव प्रशंसा करे। जो व्यक्ति दूसरों की प्रशंसा करता है वह एक ना एक दिन प्रशंसा के योग्य बन जाता है। उत्तम पुरुष शिष्टावान कहलाता है, ऐसे व्यक्ति जो काम शुरू कर देते है उसे अंजाम तक पहुंचाते है। वह व्यक्ति सदेव मर्यादाओं में रहता है। परिवार, संघ, समाज आदि की मर्यादाओं का पालन कर शिष्ट कहलाता है। जीवन में व्यक्ति तीन बातों से दुःखी होता है पहला फिजूलखर्ची, दूसरा बिना सोचे समझे बोलना और तीसरा बिना सोचे समझे खाना। परमात्मा ने अगर आपको धन प्रदान किया है तो उसका सद्पयोग धर्म के कार्यों में कीजिए जिससे आपके पुण्य में सदैव वृद्धि होती रहेगी।

संघ द्वारा रविवार रात्रि को नवकार महामंत्र के सामूहिक जाप की 231 वी कड़ी का आयोजन किया गया जिसमें कूपन के एवं प्रभावना के गुप्त लाभार्थी परिवारो की अनुमोदना की गई। जाप में बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे।

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