मनुष्य पाप से सदैव बचे: धैर्य मुनि डॉ.म.सा.

आसींद(सुरेन्द्र संचेती) व्यक्ति को पाप से बचना चाहिए। मनुष्य ही पाप से बचने का प्रयास कर सकता है, अन्य प्राणियों में पाप से बचने का विवेक नहीं होता है ।मनुष्य पांच प्रकार से पाप करता है। पहला हंस-हंसकर, दूसरा सता- सता कर तीसरा छिप- छिप कर चौथा रो-रो कर और पांचवा दिखा- दिखा कर इस तरह पाप करके वह प्रसन्न होता है । लेकिन जब वो पाप कर्म उदय में आते हैं तो कोई भी बचाने नहीं आता है। स्वयं के पाप कर्म स्वयं को ही भोगने होते हैं। यतना के साथ प्रत्येक कार्य करते हुए पाप कर्म से बचा जा सकता है। उक्त विचार नव दीक्षित संत धैर्य मुनि ने महावीर भवन में धर्म सभा में व्यक्त किए।

मुनि ने कहा कि 24 सितंबर बुधवार को गुरुणी मैय्या डॉ ज्ञान लता महाराज सा. का 53 वा दीक्षा दिवस जप और तप के साथ मनाया जायेगा। उस दिन सर्व रोगनाशक, दुःख नाशक, आधि व्याधि नाशक,संकट मोचक,अरिहंत व सिद्ध स्तुति णमोत्थुणं का महाजाप करवाया जायेगा। इस जाप से जीवन की दशा और दिशा बदली जा सकती है। यह जाप देवों और इंद्रो के द्वारा भी अरिहंत भगवान की स्तुति में किया जाता है। जाप का समय प्रातः 8.30 बजे से रहेगा। इस अनुष्ठान में रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए सहमंत्री विनोद खाब्या, आनंद चौधरी को अधिकृत किया गया है।

साध्वी ऋजु लता ने दान का महत्व बताते हुए कहा कि दान छपा कर नहीं बल्कि छिपा कर देना चाहिए जिससे कई गुना अधिक लाभ प्राप्त होता है। घर की अनावश्यक वस्तुओं को कबाड़ में नहीं बेचकर आवश्यकता वाले व्यक्तियों को देकर उनसे दुआ लेनी चाहिए। दीक्षा दिवस पर तप के रूप में सामूहिक नीवी तप किया जायेगा। धर्म सभा में बाहर से कई धर्म संघों के श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे।

Tags

Next Story