आत्मा के समीप जाने का पर्व है पर्युषण महापर्व : धैर्य मुनि

आसींद अधिकांश व्यक्ति अपने दुखों को छुपाते है दुनिया में लोग बहुत दुखी है। अपना दुःख उसी को बताए जो अपनी समस्या का समाधान कर सके, जो दुःख को नहीं समझता है उसके सामने अपना दुःख प्रकट नहीं करे। जिसके अंदर दुःख को पचाने की क्षमता हो उसी के सम्मुख अपना दुःख प्रकट करे। पर्युषण महापर्व अशुभ कर्मों को समाप्त करने का एक अवसर है जैन दर्शन में इस पर्व का बहुत बड़ा महत्व है। उपवास करना एक औषधि के समान है इससे आत्मा के समीप जाने का मौका मिलता है। उक्त विचार नवदीक्षित संत धैर्य मुनि ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए।
साध्वी डॉ. चारित्र लता ने कहा कि जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु होना निश्चित है।हमे इस जन्म मरण से मुक्ति मिल जावे उसके प्रयास होने चाहिए। जो व्यक्ति धर्म करता है उसका संसार में नाम हो जाता है। पर्युषण महापर्व के आठ दिनों में अधिक से अधिक तप त्याग कर अपनी आत्मा का कल्याण करे।
साध्वी ऋजु लता ने कहा कि धर्म के माध्यम से जीवन में परिवर्तन लाए, संसार के पदार्थों का अधिक से अधिक त्याग करे। धर्म ही जन्म और मरण का चक्कर मिटा सकता है। धर्म के कार्य करने में किसी का इंतजार नहीं करना चाहिए अकेले ही चल पड़ना चाहिए। धर्म ही आत्मा को सुख और दुःख में शरण प्रदान करता है।मनुष्य जीवन को सार्थक करना है तो धर्म से जुड़ना पड़ेगा तभी सार्थक हो पाएगा। धर्म सभा में संघ के संरक्षक चन्द्र सिंह चौधरी के सुपुत्र विकास चौधरी का आकस्मिक स्वर्गवास हो जाने पर सामूहिक रूप से नवकार महामंत्र का जाप कर दिवंगत आत्मा की शाश्वत शांति की कामना की। पर्युषण महापर्व के दौरान 11 बजे तक समाज के प्रतिष्ठान बंद रहेंगे।
