वाणी में बड़ी ताकत है,बिना युद्ध के शांति लाई जा सकती:धैर्य मुनि

आसींद (सुरेन्द्र संचेती) दुनिया में सबसे शक्तिशाली वाणी है। थोड़ा बोले, आवश्यकतानुसार बोले, मधुर बोले तो सभी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है। वाणी को अगर वीना बना दोगे तो हर व्यक्ति आप से जुड़ना चाहेगा। शस्त्र के घाव मिट जाते है पर शब्दों के घाव को कभी भी भरा नहीं जा सकता है।परिवार में , समाज में सामंजस्य रखना हो तो मधुर वाणी का उपयोग करे। व्यक्ति कितना भी क्रोध से भरा हुआ हो, अगर उसके सम्मुख मधुर वाणी का उपयोग किया जाता है तो वह भी शांत हो जाता है। उक्त विचार नवदीक्षित संत धैर्य मुनि ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए।
प्रवर्तिनी डॉ दर्शन लता ने कहा कि जहां पर हिंसा है, संयम नहीं है, तप नहीं है वहां पर हमें जाने से नुकसान ही होगा। हमे अपनी संगत अच्छे लोगों के साथ रखनी चाहिए जैसी संगत होगी वैसी आपकी रंगत होगी। अच्छे लोगों के संपर्क में रहने से हमे अच्छी प्रेरणा मिलती रहती है। जीवन में मां हमे पुण्यवानी से मिलती है। मां ममता और समता की प्रतिमूर्ति होती है। मां के उपकार को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। परमात्मा के बाद अगर किसी का नंबर आता है तो वह मां है। मां से जो शिक्षा और संस्कार मिलते है वह कोई भी नहीं दे पाता है। माता और पिता का कभी भी अनादर मत करना उनकी हर बात में प्यार भरा हुआ रहता है।
साध्वी ऋजु लता ने कहा कि भविष्य को सुरक्षित बनाना है तो संयुक्त परिवार का होना आवश्यक है। सयुक्त परिवार से महिलाओं के शील की सुरक्षा के साथ साथ दुःख की घड़ी में परिवार का जो सहयोग मिलता है वह अकल्पनीय होता है। आजकल के युवक और युवतियां शादी होते ही घर से अलग रहना शुरू कर देते है, जिससे संयुक्त परिवार दिनों दिन कम होते जा रहे है। माता और पिता को यह उम्मीद रहती है कि हमारे बच्चे हमारी सेवा करेंगे, हमारा पूरा ख्याल रखेंगे लेकिन आजकल सयुक्त परिवार नहीं होने से उन्हें काफी मुसीबत झेलनी भी पड़ती है। दोपहर में ज्ञानशाला में काफी बच्चों ने हिस्सा लिया और संस्कारवान बनने का संकल्प लिया।
