तप की ज्योति से आत्मा को उज्ज्वल बनाया जा सकता है: धैर्य मुनि

आसींद शरीर का शुद्धिकरण तप के माध्यम से होता है। तप एक तरह से औषधि है जिन कर्मों को आसानी से नहीं काट सकते है वह कट जाते है। भगवान महावीर स्वामी ने साढ़े बारह वर्षों में मात्र 349 दिन आहार किया। तप एक ऐसी ज्योति है जिससे आत्मा को उज्ज्वल बनाया जा सकता है। आत्मा के ऊपर जो कषाय जमे हुए है उनको साफ किया जाता है। असली त्यागी वो है जो भोग की वस्तु सामने होते हुए उसका त्याग करे। उक्त विचार मुनि के सांसारिक परिवार से अठाई तप के उपलक्ष्य में आयोजित धर्मसभा में धैर्य मुनि ने व्यक्त किए।

प्रवर्तिनी डॉ दर्शन लता ने कहा कि जो सम्यकतवी होता है वहीं श्रावक और साधु बन सकता है। जीवन में एक क्षण का भी प्रमाद मत करो, साधना के अन्दर आगे बढ़ो। धर्म स्थान पर हर समय धार्मिक माहौल रहता है, परिवार के बड़े बुजुर्ग वहां पर आयेंगे तो उनके बच्चों में भी वही संस्कार आयेंगे। जिनवाणी सुनने से कर्मों का क्षय होता है। अठाई तप पोरसी सहित करने पर 1,56,250 उपवास का फल प्राप्त होता है।

साध्वी ऋजु लता ने कहा कि विचारों में मतभेद हो सकता है पर मनभेद नहीं होना चाहिए। दिलो में कभी भी दरार नहीं आनी चाहिए। इस अवसर पर अंजली कोठारी, महिला मंडल आसींद, महिला मंडल ब्यावर ने तप की अनुमोदना पर गीतिका प्रस्तुत की। स्थानीय संघ द्वारा तपस्वी बहिन सरोज तातेड़ का सम्मान किया गया। दोपहर में तपस्वी बहिन के परिवार द्वारा चौबीसी का आयोजन किया गया जिसमें श्राविकाओं ने भाग लिया।

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