इस गांव के लोगों के चेहरे पर मानसून शुरू होते ही खींच जाती है चिंता की लकीरे

इस गांव के लोगों के चेहरे पर मानसून शुरू होते ही  खींच जाती है चिंता की लकीरे
X


भीलवाडा भोली पंचायत का लोडकिया गांव इस गांव के लोगों के चेहरे पर बारिस शुरू होते ही चिंता की लकीरे खींच जाती है। कारण है गांव में हर साल बारिश के साथ ही पानी भरना शुरू हो जाता है। स्थिति यह होती है कि एक साथ तेज बारिश होने या फिर दो तीन दिन लगातार झड़ी लगने पर गांव में पांच फीट तक पानी भर जाता है। गांव से बाहर जाने के सभी रास्ते बंद हो जाते है। गांव टापू में तब्दिल हो जाता है। जहां तक नजर डालो सिर्फ पानी ही पानी नजर आता है। दो दिन पहले हुई बारिश के बाद यहां के फिर वही हाल हो गए। यहां बने एनिकट और दो तालाब में पानी की आवाक के बाद पानी का ओवर फ्लो होना और नाले से तेज बहाव के साथ पानी का आना इस गांव को टापू में तब्दिल कर देता है। 25 साल पहले बने एनिकट को भरने में समय लगता था लेकिन इस बार हुई बारिश में एक ही दिन में एनिकट में पानी की भारी आवक हुई। वहीं एनिकट से लीकेज के चलते पानी गांव की ओर भर गया।स्थिति यह हो गई कि पानी से घिरे इन्हीं मकानों में से एक घर साठ साल के माधो का है। माधो ने कहा कि हर साल हमारे सामने दिक्कत आती है। इस बार तो अचानक पानी भर गया। मेरा भी मकान कच्चा पक्का बना हुआ है जो पानी से घिर गया। पानी भरना शुरू हुआ तो परिवार के लोग घर से बाहर निकल गए। थोड़ी ही देर में घर पानी से घिर गया था। उस रात तो गांव के लोगों की मदद से उनके घर में गुजारी। दूसरे दिन भी गांव के लोगों ने खाने और दिनचर्या में मदद की। लेकिन अब भी मकान पानी से घिरा हुआ है। हालांकि अब पानी थोड़ा कम हुआ है लेकिन अभी भी घुटनों तक पानी है। ऐसे में घर में तो जा नहीं सकते न रात को रूक सकते है। परिवार के सदस्य रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं। लेकिन घर को सूना भी नहीं छोड़ सकता इसलिए मैं यहीं आस पास गांव में घूमता रहता हूं और दिन में आकर निगरानी कर जाता हूं। आने के लिए भी रास्ता नहीं बचा है। गांव में सड़क तक जाने वाले रास्ते में पानी भरा है। ऐसे में पानी के बीच से ही निकल कर आना जाना पड़ता है। यही स्थिति गांव के गोपाल के साथ भी है। गोपाल ने बताया कि खाने और पीने के पानी को लेकर बहुत समस्या आती है। अचानक बारिश की वजह से जलभराव हो गया। मानसून के पूरे सीजन में यही स्थिति रहती है। गांव में पानी भरा रहता है। तीन महीने तक तो स्थिति बहुत खराब होती है।

हमारा अनाज भीग गया। पशुओं का चारा भीग गया। लेकिन अभी दिन में दो बार यहां आना पड़ता है। मवेशियों के लिए चारा भूसा लेकर आते हैं। पानी के बीच से ही गुजरना पड़ता है। लोगों के लिए ये बहुत बडी बात नहीं होगी लेकिन हमारे लिए ये जीवन नर्क जैसा ही है। बरसात का मौसम तो हमारे कोई राहत तो नहीं लाता बल्कि परेशानियां और पैदा हो जाती है। पानी की जद में आने वाले एक मकान में केवल मवेशी बंधे नजर आए। घर के आंगन में पानी और कीचड जमा था। पता किया तो सामने आया कि राजू जाट का घर है। पानी भरने के बाद वह भी घर छोड़कर चले गए। अब यहां मवेशी बंधे है जिनका चारा पानी देने के लिए वह दिन में एक दो बार आ जाते हैं।

Tags

Next Story