सगस द्वारा मंदिरा, मांस, बलि का भोग नहीं लेने के वचन पर रूकी बाडिया माता, लकवा रोगी होते है ठीक

सगस द्वारा मंदिरा, मांस, बलि का भोग नहीं लेने के वचन पर रूकी बाडिया माता, लकवा रोगी होते है ठीक
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गुरलाँ (सत्यनारायण सेन) रायपुर उपखंड के बाडिया गाँव में चमत्कारी, लकवा रोग को ठीक करने, आस्था, विश्वास, शक्ति की राणी बाडिया माता आज अपनी प्रसिद्धी के कारण दूर दूर आस्था, विश्वास के साथ माता के दरबार में आते हैं।

रायपुर से 10 किमी, कोशिथल 7 किमी नान्दसा जागीर से 3 किमी दूर है कोशिथल, रायपुर, बागोर से आने जाने का साधन उपलब्ध है माता के भक्तों के लिए बहुत से समाज के द्वारा सराय का निर्माण किया हुआ जहाँ निशुल्क रह सकते हैं नवरात्रि में सैकड़ों भक्त दर्शन लाभ उठाते

लकवा रोग से मिलती है मुक्ति

यदि किसी के लकवा मार जाता है तो माता के दरबार में 10 से 30 दिनों तक रूकने पर ठीक हो जाते हैं।

भजन संध्या व मेले का आयोजन

शनिवार ,रविवार दोनों नवरात्रि, में भक्तों का तांता लगा रहता है इन दिनों में भजन कीर्तन कार्यक्रम आयोजित होतें है बडे़ बडे़ कलाकारों द्वारा प्रस्तुति दी जाती है साथ बहार दुकानें लगीं हुईं जहाँ से प्रसाद, माता ले सकते हैं नवरात्रि में भक्त पैदल चल कर दर्शन करने आते हैं

जोधा भोपाजी की मूर्ति भी मन्दिर में स्थापित

मन्दिर परिसर में ही जोधा भोपाजी की मुर्ति की स्थापना कर रखी है इन्हें ही दिव्य अनुभूति (दर्शन) दिया बाडिया माता ने

प्रसिद्ध बाडिया श्याम मन्दिर भी है

माता जी के मन्दिर से एक किमी दूर बाडिया श्याम का मन्दिर है जो आसपास के क्षेत्र में लोकप्रिय स्थान है यहाँ भी दर्शन लाभ के लिए लोग आतें है

गांव का नाम बाडिया कैसे पडा

वर्तमान गाँव का नाम पहले कुम्हारों का वाडिया था फिर देवी माँ के चमत्कार और इस स्थान पर बिराजमान होने के साथ ही बाडिया का माता जी के नाम से पुकारा जाने लगा।

सगस बावजी का मन्दिर सामने ही स्थित

बाडिया माता मन्दिर के सामने ही सगस बावजी जी स्थान है जहाँ पर मन्दिर बना हुआ है

बाड़िया माता जी का इतिहास

विक्रम सम्वत्- 1985 का श्रावण भाद्रपद के महिने में सांयकाल के समय से ही जगदम्वा का प्रिय अस्त्र सुदर्शन चक्र का आना व सगस जी महाराज द्वारा भगवती को रोकना व मांस, मदिरा, बलि का भोग नही लेने का वचन समास जी से लेश माँ ने फिर अपने परम भक्त श्री किशना जी गुर्जर (खटाणा) की पुत्री जम्बू को लकवा बीमारी का चमत्कार बता कर गाँव वालो को भी लकवा बीमारी को मिटाने का चमत्कार दिखाने के बाद माँ ने इस निर्धन परिवार पर माँ भगवती ने कृपा कर बाई जम्मु देवी को वाणी द्वारा माता के चमत्कार पिता जी किशना जी को कहने लगी कि तुम मेरा वहाँ स्थान बनाना ज‌हाँ सुदर्शन चक्र आ कर रूके पुत्री को साथ ले गाँव वालों को साक्षी में लेकर ( वर्तमान में मन्दिर है वहा देवी की स्थापना हुई )विक्रम सम्बत् 1985 सुदी 13 के शुभ मुहूर्त में मैया जी के पांच नमुनो को स्थापित कर दीये। 15 वर्षो तक किशाना जी ने सेवा पुजा की व वि.सं 2001 स्वर्ग सिधारने के बाद उनके पुत्र जोधराज गुर्जर को माँ ने दिव्यदर्शन देकर मन्दिर व मूर्ति जोधराज जी के अथक प्रयासो से व मैया के भक्तो द्वारा वि.सं. 2026 से 2028 (सन् 1969 से स्थापित करने के लिए कहा। 1971) तक मन्दिर व मुर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवाई। तब से लेकर उनके वंशज माँ भगवती की पुजा अर्चना करते आ रहे है। वि.सं. 2063 के 12 रविवार (दिनांक 06-08-2006) को जोधराज जी के स्वर्ग सिधारने के बाद। उनके पुत्र भेरुलाल, मांगीलाल दीपकक, पारस,व सुरेश माँ भगवती की सेवा पुजा कर रहे हैं। भेरू लाल गुर्जर भोपा को माता आती है वह समाचार कहतीं है।

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