बनास नदी बना जहर का दरिया: फैक्ट्रियों की लापरवाही से बढ़ा जलसंकट

हमीरगढ़ (अलाउद्दीन मंसूरी) हमीरगढ़। कभी क्षेत्र की जीवनरेखा कही जाने वाली बनास नदी अब जहरीले पानी की मार झेल रही है। हमीरगढ़ रेलवे फाटक के पास स्थित सोना सलेक्शन फैक्ट्री से लगातार प्रदूषित पानी छोड़े जाने से नदी का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ चुका है। बरसाती पानी की आड़ में फैक्ट्री प्रबंधन गुपचुप तरीके से जहरीला पानी पाइपलाइन के जरिये नदी में डाल रहा है, जिसके चलते जलीय जीवों की मौत हो रही है और गांवों के जीवन पर खतरा मंडराने लगा है।पिछले कुछ दिनों से नदी के किनारे मृत मछलियों के ढेर ग्रामीणों की चिंता बढ़ा रहे हैं। जहरीले पानी ने खेती-किसानी को भी प्रभावित किया है। किसानों का कहना है कि सिंचाई के बाद खेतों की मिट्टी सख्त हो जाती है और फसलें नष्ट हो रही हैं। इससे गांवों में अन्न और चारे का संकट खड़ा हो गया है।नदी का पानी प्रदूषित होने से अब पीने के पानी की भारी समस्या खड़ी हो गई है।
ग्रामीणों के अनुसार, गांव की महिलाएं रोज कई किलोमीटर दूर से पानी ढोकर ला रही हैं। स्वच्छ जल की अनुपलब्धता के कारण बच्चों और बुजुर्गों में पेट और त्वचा संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं।सिर्फ पानी ही नहीं, फैक्ट्री से निकलने वाला धुआं भी लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। आसपास के गांवों में अस्थमा, खांसी और एलर्जी के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सांस लेना भी दूभर हो गया है।ग्रामीणों ने कई बार प्रदूषण नियंत्रण मंडल और प्रशासनिक अधिकारियों को शिकायतें सौंपी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इससे ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उनका आरोप है कि विभाग और फैक्ट्री प्रबंधन की मिलीभगत के चलते ये गोरखधंधा वर्षों से जारी है।गांव के बुजुर्गों का कहना है कि यदि जल्द ही इस प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो वे बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। बनास नदी के किनारे बसे सैकड़ों गांवों का जीवन और आजीविका इस नदी से जुड़ी है, लेकिन फैक्ट्रियों की लापरवाही ने इसे जहर का दरिया बना दिया है।
