भागीरथी गंगा डूबने पर मार देती है लेकिन भागवत गंगा डूबने पर तार देती है - महंत मोहन शरण

भागीरथी गंगा डूबने पर मार देती है लेकिन भागवत गंगा डूबने पर तार देती है - महंत मोहन शरण
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भीलवाड़ा । श्री निबार्क पारमार्थिक सेवा ट्रस्ट एवं ओम शांति सेवा संस्थान वृद्धाश्रम के तत्वावधान में मंगरोप रोड स्थित वृद्धाश्रम में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के चौथे दिन कथा वाचक निंबार्क आश्रम के महंत मोहन शरण शास्त्री ने छठे दिन कृष्ण बाललीला, माखन चोरी लीला, वेणु गीत गोवर्धन पूजा आदि प्रसंगो का वर्णन करते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत गंगा के समान है। भागवत को संतों ने गंगा का रूप दिया है। संतो के श्रीमुख से निकली वाणी गंगा कहलाती है। एक भागीरथी गंगा है और एक सत्संग रूपी भागवत गंगा है। इन दोनों में सबसे तेज प्रवाह भागवत गंगा का है। हरिद्वार में जो भागीरथी गंगा बह रही है वह तन को पवित्र करती है। श्रीमद् भागवत गंगा मन को पवित्र करती है और गोविंद की प्राप्ति होती है। इसलिए सबसे ज्यादा महत्व भागवत गंगा का है।

भागीरथी गंगा के दर्शन के लिए अपने को चलकर हरिद्वार जाना पड़ता है। शरीर अगर बुड्ढा हो गया तो आप जा नहीं पाओगे। भागवती गंगा के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ती वह निश्चित रूप से आपके आंगन में आ सकती है। इसीलिए इसका महत्व काफी ज्यादा है।हरिद्वार में जो भागीरथी गंगा है उसमें सांकल लगी हुई है कि कोई डूब ना जाए। भागीरथी गंगा डूबने पर मार देती है लेकिन भागवत गंगा डूबने पर तार देती है। भागीरथी गंगा में डूबना नहीं है और भागवत गंगा में तैरना नहीं है। तभी गोविंद मिलेंगे। भागवत गंगा में डूबने से श्री कृष्णा रूपी मोती अनायास मिल जाएंगे। उन्होंने कहा कि संसार में सबसे दुर्लभ सत्संग है। थोड़ी मेहनत से धन मिल जाएगा लेकिन सत्संग मिलना कठिन है। व्यक्ति के जब पुण्य जागृत होते हैं तभी संत मिलते हैं। संत के मिलने के बाद ही सत्संग की प्राप्ति होती है।

आयोजन समिति के नीलम-दिनेश शर्मा ने बताया कि कथा के दौरान छप्पन भोग व गोवर्धन पर्वत की झांकी सजाई गई। झांकियों को देखकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। पुर के कलाकारों की ओर से उज्जैन महाकाल की तर्ज पर की गईं महाआरती आकर्षण का केंद्र रही। कथा में रपट के बालाजी के महंत बलराम दास, संकट मोचन हनुमान मंदिर के महंत बाबू गिरी, पंचमुखी हनुमान मंदिर के पुजारी मुरारी पांडे, हाथी भाटा आश्रम महंत संत दास, हनुमान टेकरी के महंत बनवारी शरण काठिया बाबा शामिल हुए। संचालन पंडित अशोक व्यास ने किया। इससे पूर्व कथा के प्रारंभ में महंत श्री का सहाड़ा रायपुर विधायक लादू लाल पितलिया, ओम शांति सेवा संस्थान ट्रस्ट परिवार के राजकुमार बूलिया, सत्य नारायण मूंदड़ा, संजय श्री श्रीमाल, नवीन काकाणी, अनिल बोरदिया, महावीर खटोड़, राधेश्याम सोमानी, संदीप सकलेचा, कृष्ण गोपाल लड्ढा, राकेश काबरा, राजकुमार जैन, शांति लाल बाबेल, सुरेंद्र सांखला, मुकेश चोपड़ा, दिनेश अजमेरा, नरेश सोमानी, आयुष झमाड़ ने माल्यार्पण एवं अभिनंदन कर आशीर्वाद लिया। समिति के नेहा- विपिन दीक्षित ने बताया कि कथा के छठे दिन महारास, गोपी गीत प्रसंग, कंस मर्दन, रूकमणी मंगल होगा। कथा के सांतवें अंतिम दिन सुदामा चरित्र, फुलों की होली खेली जाएगी। श्रद्धालओं को रूकमणी विवाह के दिन लाल वस्त्र पहनकर शामिल होना होगा।

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