जिसे श्रवण कर मिट जाती है सौ जन्मों जन्म की व्यथा, जय-जय श्रीराम कथा: कथावाचक राजन महाराज से श्रीराम कथा सुनने उमड़े भीलवाड़ावासी

कथावाचक राजन महाराज से श्रीराम कथा सुनने उमड़े भीलवाड़ावासी
X

भीलवाड़ा। भगवान के एश्वर्य एवं स्वरूप का बोध कराने वाली जिस श्रीराम कथा श्रवण का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था वह पल शनिवार को आखिर आ ही गया। श्रीसंकट मोचन हनुमान मंदिर ट्रस्ट एवं श्री रामकथा सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित नौ दिवसीय श्री रामकथा महोत्सव का आगाज कथावाचक राजन महाराज के श्रीराम कथा वाचन शुरू होने के साथ हो गया। संकटमोचन हनुमान मंदिर के महन्त बाबूगिरी महाराज के सानिध्य में पहलेे ही दिन कथा सुनने के लिए धर्मनगरी भीलवाड़ा के भक्तगण उमड़ पड़े एवं विशाल वाटरप्रूफ पांडाल भी छोटा पड़ता नजर आया।

कथावाचन शुरू होने से पूर्व सुबह श्रीहरिशेवाधाम से कलश शोभायात्रा भी निकाली गई थी। शोभायात्रा के चित्रकूटधाम पहुंचने पर व्यास पीठ रामचरितमानस ग्रंथ को विधि पूर्वक रखा गया। इस दौरान समिति के अध्यक्ष गजानंद बजाज के साथ महन्त बाबूगिरी महाराज, निम्बार्क आश्रम के महन्त मोहनशरण शास्त्री, गोपालद्वारा सांगानेर के गोपालदास महाराज, रपट के बालाजी के महन्त बलरामदास महाराज, हरिशेवाधाम के गोविन्दराम, मुरारी पांडे आदि मौजूद थे।


राजन महाराज जैसे ही कथास्थल चित्रकूटधाम में व्यास पीठ पर पहुंचे पूरा पांडाल जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। उनके व्यास पीठ पर विराजित होने से पहले उसकी विधिवत पूजा की गई। राजन महाराज ने जैसे ही ‘‘जिसे श्रवण कर मिट जाती है सौ जन्मों जन्म की व्यथा, जय-जय श्रीराम कथा’’ भजन पेश किया पूरा माहौल राम की भक्तिमय हो गया एवं कथास्थल चित्रकूटधाम अपने नाम को साकार करते दिखा।

उन्होंने भीलवाड़ा वासियों की भक्ति भावना सराहना करते हुए कहा कि सरस रामकथा जीवन के लिए महत्वपूर्ण संदेश देने वाली है। रामकथा बताती है कि जीवन को किस तरह विकारों से मुक्त किया जा सकता है। कथा आयोजन के लिए महन्त बाबूगिरीजी महाराज की पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस कलिकाल में जब व्यक्ति परमार्थ छोड़ स्व में उलझा हुआ तब जो रामकथा करने के लिए निवेदन करता है वह सौभाग्यशाली है। उन्होंने कहा कि रामजी के चरणों में परम पद प्राप्त करना चाहते है ओर जीवन का उद्धार करना चाहते है तो भाव सहित कथा श्रवण करना ही उपाय है। किसी को कथा समझ नहीं आए तो भी सुनने आए रामकथा सभी मनोकामना पूरी कर देती है। सुनने वाले की जैसी प्रकृति होती है वैसी ही उसे कथा समझ में आती है।

राजन महाराज ने कहा कि जब सूर्य से विमुख हो जाते है तो परछाई आगे होती है ओर जब भगवान से विमुख हो जाते है तो विपतिया आती है। मुख भगवान के सामने होगा तो जीवन में खुशियां होगी। भगवान के समक्ष हमेशा शरणागत भाव में दिखा करे। जानना ज्ञान नहीं है जान कर जो मान लेगा वहीं ज्ञान है। हम बहुत सी बाते जानते है पर उसे मानते नहीं है। हम जानते मौत निश्चित है फिर भी राग,द्धेष,मोह नहीं छोड़ पाते है। उन्होंने कहा कि रामजी की भक्ति ही रामजी को प्राप्त करा सकती है। मैं भाव से कथा सुनाने का प्रयास करूगा आप भी भाव से कथा सुनने का प्रयास करे। भाव के साथ कथा श्रवण करने पर यह मन की थकान मिटा देती है।

मंच पर हाथीभाटा आश्रम के महंत संतदास महाराज, भजन गायक मिथलेश नागर, पुजारी मुरारी पांडे, मुरलीधर बानोड़ा के बालाजी आदि भी मौजूद थे। राजन महाराज के व्यास पीठ पर बैठने के बाद आरती करने वालों में प्रमुख जजमान श्रीगोपाल राठी, राधेश्याम सोमानी, रमेश खोईवाल, देवीलाल बजाज, मिठुलाल स्वर्णकार, केसी प्रहलादका, राजेश गुर्जर, श्रीराम गुर्जर, हनुमान गुर्जर, अजय गुर्जर आदि शामिल थे। शाम की आरती भीलवाड़ा नगर निगम के महापौर राकेश पाठक, पवन पंवार, नवल भारद्धाज, सांवरमल बंसल, रमेश बंसल, उमाशंकर पारीक, गोविन्द सोड़ानी, मनोहरकृष्ण चौबे आदि ने की।

मंच का संचालन पंडित अशोक व्यास ने करते हुए कथा आयोजन की भूमिका के बारे में बताया। श्रीराम कथा का वाचन चित्रकूटधाम प्रांगण में 29 सितम्बर तक प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक होगा। श्रीरामकथा सेवा समिति की ओर से कथास्थल चित्रकूटधाम में श्रीराम भक्तों के लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं की गई थी। महिला एवं पुरूष भक्तों के बैठने के लिए विशाल अलग-अलग खण्ड का निर्माण किया गया था। कथास्थल पर पेयजल आदि का भी पुख्ता प्रबंध रहा ताकि भक्तों को कोई परेशानी नहीं आए।


बहती रही भजनों की गंगा

श्रीराम कथा शुरू होने से पहले एवं राजन महाराज द्वारा कथा शुरू करने के बाद भी भजनों की गंगा प्रवाहित होती रही। कथा के शुरू में ही जन मन में रसधार भरेगी रामकथा भजन ने माहौल भक्तिपूर्ण कर दिया। कथा में मंगल भवन अमंगल हारी, राम कीर्तन करो तुम सुधर जाओंगे आदि भजनों की प्रस्तुति ने भी माहौल श्रीराम की भक्ति से परिपूर्ण कर दिया और पांडाल में जयश्री राम के जयकारे गूंजते रहे।

Next Story