शक्करगढ़ में पारद शिवलिंग में ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देव विद्यमान, कावड़ यात्रा 4 अगस्त को

शक्करगढ़ (सांवरिया सालवी)। शक्करगढ़ स्थित श्री संकट हरण हनुमत धाम में सावन के चौथे सोमवार पर 4 अगस्त को भव्य चतुर्दिक वाहन कावड़ यात्रा का आयोजन किया जाएगा। जिसमें चारों दिशाओं से पवित्र जल की कावड़ से राजस्थान के प्रथम 251 किलो पारे से निर्मित पारदेश्वर महादेव शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाएगा।

वाहन कावड़ यात्रा की शुरूआत पूर्व दिशा के सिंधकेश्वर महादेव मंदिर, सथूर (बूंदी), पश्चिम दिशा से त्रिवेणी महादेव (त्रिवेणी संगम) तथा उत्तर दिशा से गाडोली महादेव मंदिर एवं बनास नदी (जहाजपुर) एवं दक्षिण दिशा से तिलस्वा महादेव मंदिर एवं सीताकुंड से श्रद्धालु कावड़ लेकर शक्करगढ़ धाम पहुंचेंगे। कार्यक्रम की रूपरेखा परमादर्श आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी जगदीशपुरी महाराज के मार्गदर्शन में की जा रही है। विदित रहे की

शक्करगढ कस्बे में भीम उनियारा हाइवे पर श्री संकट हरण हनुमतधाम मंदिर में सावन माह के चलते देश भर से श्रद्धालुओ का लगातार आने का सिलसिला जारी है। मंदिर में स्थापित 251 किलो पारे से निर्मित शिवलिंग प्रदेश का संभवतया पहला मंदिर है।

सावन माह में राजस्थान,दिल्ली, गुजरात उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड सहित देश के कोने कोने से आए श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए यहां दर्शन पारद शिवलिंग भगवान शिव का जल,दुग्ध,अभिषेक बिल पत्र चढ़ाकर विशेष पूजा अर्चना कर अपनी कष्ट पीड़ा दुख दूर कर रहे है।

श्री संकट हरण हनुमंत धाम के संस्थापक श्री श्री 1008 महामंडलेशर स्वामी जगदीश पुरी जी महाराज ने बताया कि पारद शिवलिंग (पारे से निर्मित) का निर्माण अमर निरंजनी आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी जगदीश पुरी महाराज के आग्रह पर महाकाल की भूमि उज्जैन में सिद्ध संत स्वामी नारदा नंद महाराज ने शास्त्रीय विधि से किया। 18 फरवरी 2023 को उज्जैन से शक्करगढ़ हनुमत धाम लाए व 2023 फरवरी को प्राण प्रतिष्ठा की गई ।

पारद शिवलिंग में ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनों ही देव विद्यमान रहते हैं। शिव पुराण के अनुसार सावन में पारद शिवलिंग की पूजा से सभी शिवलिंग की पूजा का फल मिलता है।

श्री संकट हरण हनुमत धाम में हनुमान राम दरबार विग्रह, राधा-कृष्ण एवं पारदेश्वर महादेव की मूर्तियों के दर्शन एक साथ होते हैं।

मंदिर परिसर में श्री संकट मोचन आदर्श गोशाला शक्करगढ़ में गौ शाला का भी संचालन होता है। गौशाला में करीब अभी 650 गोमाता हे।

वही मंदिर परिसर में ही बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 45 कमरे भी बने हुए हैं जो सभी सुविधायुक्त है। श्रद्धालुओं को निशुल्क आवास और भोजन की व्यवस्था भी मंदिर की तरफ से ही की जाती है ।

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