भाविप के प्रांतीय संस्कार शिविर का समापन
भीलवाड़ा। भारत विकास परिषद राजस्थान मध्य प्रांत की ओर से स्वामी विवेकानंद शाखा के आतिथ्य में संस्कार प्रकल्प के तहत हरनी महादेव रोड स्थित रामेश्वरम में आयोजित दो दिवसीय प्रान्तीय युवा संस्कार शिविर का रविवार को समापन हुआ। शिविर में महापुरुषों के दलों को प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में विजेता रहने पर पुरस्कार दिया गया। शिविर में राजसमंद, भीलवाड़ा, शाहपुरा, केकड़ी, मांडल, ब्यावर, अजमेर, आसीन्द, बदनोर, जालिया, गुलाबपुरा से 24 दल जिसमे 96 विद्यार्थियों ने भाग लिया। प्रत्येक दल में चार विद्यार्थी थे। दलों को महाराणा प्रताप, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, शिवाजी, विवेकानंद जैसे महापुरुषों के नाम दिए गए।
शिविर में विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय संत प्रमुख ओमप्रकाश बुलिया, प्रोफेसर श्यामसुंदर भट्ट ने नेपथ्य पर विचार रखे। 25 वर्षीय जनजातीय क्षेत्र में संघर्ष करने वाले बीरसा मुंडा, विजय सिंह पथिक नगर किसान आंदोलन चलाने वाले पर चर्चा की गई। प्रशांत परमार के सहयोग से नेपथ्य पर प्रश्नोत्तरी हुई। सभी प्रश्नों का बच्चों ने उत्साह पूर्वक जवाब दिया। शिविर में राष्ट्रीय गुरु वंदन छात्र अभिनंदन के प्रभारी बलराज आचार्य, राष्ट्रीय पदाधिकारी मुकुन सिंह राठौड़, मध्य प्रांत अध्यक्ष गोविंद प्रसाद सोडाणी मध्य प्रांत महासचिव आनंद सिंह राठौड़, विवेकानंद शाखा के सचिव गिरीश अग्रवाल का सहयोग रहा। मुख्य अतिथि कैलाश कोठारी का सानिध्य मिला।
शिविर में सभी बालकों ने अपने-अपने अनुभव शेयर किए। विद्यार्थियों ने कहा कि यह शिविर छोटे बच्चों के लिए भी लगना चाहिए। चार-चार का जो समूह है उसे बड़ा करना चाहिए। नारी शक्ति को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास होने चाहिए। में वक्ताओं ने करियर काउंसलिंग के लिए अपना उदबोधन दिया। डॉ. शिखा सामसूखा, ओमप्रकाश सोमानी, डॉ. अर्पणा सामसूखा, राहुल राठौड़, बलवंत राय लड्ढा, डॉ हेमंत सुवालका ने करियर के बारे में विचार रखे। प्रांत की ओर से ज्योति माहेश्वरी, किशोर राजपाल, दिनेश शारदा, राजेश चेचानी, सर्वेश्वर विजय ने विचार रखें। प्रांत की ओर से विवेकानंद शाखा का इस आयोजन के लिए सम्मान किया गया।
क्षेत्रीय संरक्षक शांतिलाल पानगड़िया, प्रांतीय अध्यक्ष गोविंद प्रसाद सोडाणी, प्रांतीय महासचिव आनंद सिंह राठौड़, शाखा अध्यक्ष बालमुकुंद डाड, सचिव गिरीश अग्रवाल आदि ने भी विचार रखें। गायत्री परिवार के बालकिशन पारीक ने बच्चों को हवन प्रक्रिया सीखाने के साथ शिविर की शुरुआत करवाई। मंत्र उच्चारण के साथ हवन में आहुतियां दी गई। हिंदी दिवस होने के चलते हमारी मातृभाषा हिंदी के महत्व पर विशेष प्रकाश डाला गया। कहां गया की अंग्रेजी का विरोध नहीं लेकिन हिंदी के महत्व को हमें समझना होगा।
शिविर में आशु भाषण, संतों के प्रवचन, मैनेजमेंट के तरीके बताए गए। गायत्री परिवार की ओर से नशा त्यागने का संकल्प दिलाया गया। दूसरे दिन रविवार को परम्परागत शारीरिक खेलकूद से दिन की शुरुआत होगी। पंचम सत्र में नेपथ्य के नायक पर मार्गदर्षन, प्रश्नोत्तरी एवं स्लोगन प्रश्नोत्तरी एवं एजुकेशन केरियर एवं काउंसलिंग सेमिनार हुए । अंतिम सत्र में पुरूस्कार वितरण एवं समापन समारोह हुआ । पहले दिन भेरूलाल अजमेरा एवं प्रतीक्षा मेलाना का सहयोग रहा