दूसरे सुखी हो ऐसा भाव होने से सब सुखी हो जाएंगे - स्वामी चैतन्यानंद

भीलवाड़ा। श्री रामधाम रामायण मंडल ट्रस्ट की ओर से हमीरगढ़ रोड स्थित रामधाम में चातुर्मास प्रवचन जारी है। बुधवार को प्रवचन में नर्बदा तट खरगोन के स्वामी चैतन्यानन्द गिरी ने श्रद्धालुओं को कहा कि दूसरे सुखी हो ऐसा सब का भाव होने से सब सुखी हो जाएंगे मुझे सुख हो ऐसा सब का भाव होगा तो सब दुखी हो जाएंगे। हमारा जो भाव है वही हमारा स्वरूप है दूसरे के अहित का भाव वाला रावण कालनेमी होता है। कल्याण भगवान की कृपा से होता है हमारे उद्योग से नहीं होता इसलिए गीता के अंत में अर्जुन कहते हैं हे अच्युत आपकी कृपा से मेरा मोह नष्ट हो गया है और मैं स्मृति प्राप्त कर ली।

उन्होंने कहा की पृथ्वी सब कुछ सह लेती है इसलिए उसे माता कहते हैं भगवान पिता की तरह और भक्त माता की तरह होते हैं। जिन्होंने राम को देखा है और राम ने जिन को देखा है वह मुक्ति के योग्य अधिकारी हो गए, परंतु जिन्होंने भरत को नहीं देखा परन्तु भरत ने जिनको देखा हो वो मुक्त हो गए। ट्रस्ट के प्रवक्ता गोविंद प्रसाद सोडानी ने बताया कि प्रवचन के दौरान कीर्तन श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय से रामधाम गुंजायमान रहा।

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