विवाह मुहूर्त की गिनती शुरू, शादियों में राजस्थानी व्यंजनों की बढ़ी मांग

भीलवाड़ा में इस साल रविवार, 16 नवंबर से शहनाइयों की गूंज फिर से सुनाई देने लगी है। हालांकि इस साल दिसंबर के मध्य से शुक्र अस्त होने के कारण विवाह के मुहूर्त सीमित हैं। पंडित विक्रम सोनी के अनुसार देवशयनी एकादशी पर 6 जुलाई से विवाह बंद थे और देवउठनी एकादशी 6 नवंबर को हुई। सामान्यत: इस दिन के बाद विवाह मुहूर्त शुरू होते हैं, लेकिन इस साल 9 दिन तक कोई मुहूर्त नहीं थे।
इस वर्ष केवल 16 नवंबर के बाद 22 से 27 और 29 व 30 नवंबर को ही विवाह मुहूर्त हैं। दिसंबर में 1, 3 और 5 तारीख को विवाह किए जा सकते हैं। 13 दिसंबर से 3 फरवरी तक शुक्र अस्त और 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक धनार्क के कमूर्ता के कारण विवाह मुहूर्त नहीं हैं। इसके बाद अगले साल 7 फरवरी से शहनाइयों की गूंज फिर से शुरू होगी।
**शादियों में राजस्थानी व्यंजनों की मांग**
कैटरर भूपेश के अनुसार इस साल सर्दियों में विवाह समारोहों में राजस्थानी व्यंजनों और पारंपरिक भोजन की विशेष मांग है। दाल-बाटी-चूरमा, मिठाई में गाजर का हलवा, मूंग की अंगूरी भोग, बादाम भोग, ड्राई फ्रूट भोग, राजस्थानी बाटी, मावा बाटी और केसर बाटी लोकप्रिय हैं। भोजन में कच्ची हल्दी की सब्जी और बेसन गट्टे की सब्जी की मांग भी बढ़ी है।
