कोटड़ी धर्म तालाबों से अतिक्रमण हटाने के कोर्ट ने दिए निर्देश

भीलवाड़ा । राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी), केंद्रीय क्षेत्र पीठ, भोपाल में लंबित एक महत्वपूर्ण न्यायिक मामले में भीलवाड़ा जिला कलेक्टर ने अपना उत्तर प्रस्तुत कर दिया है। जनहित याचिका कोटडी निवासी विष्णु कुमार वैष्णव ने अपने अधिवक्ता लोकेंद्र सिंह कच्छावा के मार्फत दायरे करवाई थी। मामला न्यायिक आवेदन संख्या 38/2025 (सीजेड) के तहत राजस्थान राज्य एवं अन्य (प्रतिवादी) के बीच विचाराधीन है। आवेदक विष्णु कुमार वैष्णव ने आरोप लगाया था कि कोटड़ी गाँव स्थित धर्म तालाब सहित दो प्रमुख जल निकायों पर व्यापक तौर पर अवैध कब्ज़े कर लिए गए हैं। कलेक्टर की ओर से जवाब में कहा गया है कि इन कब्ज़ों को हटाने के लिए राज्य के अधिकारियों द्वारा कार्रवाई की जा रही है। जिला कलेक्टर ने अधिकरण को अवगत कराया कि न्यायिक पीठ के आदेश दिनांक 1 अप्रैल 2025 के बाद, जिला कलेक्टर भीलवाड़ा और राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की एक संयुक्त समिति बनाई गई। समिति ने 26 मई 2025 को स्थल निरीक्षण कर पाया कि पटवार हल्का कोटड़ी की आराजी संख्या 2050 (गैर मुमकिन पेटा) और 2049 (गैर मुमकिन पाल), साथ ही गाँव धायलान का खेड़ा की आराजी संख्या 1595 और 4467 पर अतिक्रमण हैं। तकनीकी दिक्कतों के कारण, तहसीलदार कोटड़ी ने सीमा निर्धारण के लिए आधुनिक भू-स्थानिक उपकरण (ईटीएस/ईजीपीएस) के उपयोग का आग्रह किया था। इसके बाद 21 से 24 जुलाई 2025 के बीच सर्वेक्षण किया गया। 18 अगस्त 2025 की मौका निरीक्षण रिपोर्ट में कब्ज़ों की पुष्टि हुई। रिपोर्ट में बताया गया है कि आराजी संख्या 1595 पर कई स्थायी निर्माण, जबकि 2049 और 2050 पर तारबंदी, चारदीवारी और पक्के मकान बनाए गए हैं। जिला कलेक्टर, भीलवाड़ा ने 18 सितंबर 2025 को तहसीलदार कोटड़ी को नियमों के अनुसार अतिक्रमण हटाने के लिए सक्षम बताते हुए निर्देशित किया। इसके पश्चात, उप-विभागीय अधिकारी, कोटड़ी ने 29 सितंबर 2025 को तहसीलदार को 10 दिन के भीतर आवश्यक कार्यवाही शुरू करने और अनुपालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया।इस मामले में प्रतिवादी संख्या 2 का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता शोएब हसन खान कर रहे हैं, जिन्होंने अधिकरण से उनके जवाब को रिकॉर्ड पर लेने की प्रार्थना की है। जिला प्रशासन ने न्यायालय को आश्वस्त किया है कि जल स्रोतों को कब्ज़ामुक्त कराने के लिए कार्रवाई जारी है। गौरतलब है कि धर्म तालाब सहित अन्य जलाशयों की जमीन पर कब्जा कर भूखंड काटकर उनके बेचान कर दिया गया था। इसके बाद विष्णु कुमार वैष्णव ने जनहित याचिका दर्ज कराई थी।
