केन्द्रीय श्रमिक संगठनों के 21 सूत्रीय मांग पत्र पर त्वरित कार्यवाही की मांग, राष्ट्रपति व मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
भीलवाड़ा। केन्द्र में भाजपानित मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में आयी है, लेकिन इसके 11 वर्षों में मजदूर और किसानों के खिलाफ जन विरोधी नीतियां अपनाई हैं। मोदी सरकार के आने के बाद महंगाई ने अपना विकराल रूप धारण किया है, देश के युवाओं में बेरोजगारी बढ़ी है, और भूख-मरी व कुपोषण के कारण आम गरीब व मजदूर वर्ग का जीना दुर्भर हो गया है।
इस स्थिति के खिलाफ, केन्द्रीय श्रमिक संगठनों ने आज देशव्यापी आम हड़ताल का आव्हान किया था। भीलवाड़ा जिले के समस्त ट्रेड यूनियन संगठनों ने भी इस हड़ताल में भाग लिया और अपनी 21 सूत्रीय मांग पत्र प्रस्तुत कर राष्ट्रपति व मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया।
मांग पत्र की मुख्य बातें
44 श्रम कानूनों को समाप्त कर बनाए गए 4 लेबर कोड को वापस लेने की मांग, सभी श्रमिकों को 26,000 न्यूनतम मजदूरी और 10,000 रूपये मासिक पेंशन भुगतान को सुनिश्चित करने की मांग, 30 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल में नामांकित कर उन्हें सभी सामाजिक सुरक्षा के तहत कवर किया जाए, किसानों को उनके तमाम फसल उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य C2+50% (स्वामीनाथन आयोग के अनुसार) का भुगतान करना कानूनी रूप से सुनिश्चित करने की मांग, सभी को काम की गारंटी एवं कार्य सुरक्षा की मांग, मनरेगा में कार्य दिवस बढ़ाकर 200 दिन करो और प्रतिदिन मजदूरी 600 रूपये का भुगतान की मांग, ठेकेदारी संविदा प्रथा पर रोक की मांग, बीओसीडब्ल्यू में नागा कित 75.5 मिलियन से अधिक भवन निर्माण व अन्य श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभ में पर्याप्त सुधार मजदूरों को योजना का लाभ दिया जाना सुनिश्चित किया जाए।
75 लाख बीड़ी श्रमिकों के लिए पिछली सरकार की उयंकर व्यवस्था के तहत बहुआयामी कल्याण योजनाओं को सरकारी धन से बहाल कर बीड़ी श्रमिकों को इसका लाभ दिया जाए। सार्वजनिक क्षेत्री और सार्वजनिक संस्थानों एवं सेवाओं का निजीकरण बंद की मांग, बढ़ते दामों और महंगाई पर रोक लगाने की मांग, सार्वभौमिक राशन वितरण प्रणाली को लागू करो और 14 आवश्यक वस्तुओं को इसमें शामिल करने की मांग, वन अधिकार कानून को सख्ती से लागू करने की मांग, नई पेंशन योजना समाप्त करो, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग, राजस्थान में चिरजीवी योजना को लागू रखकर 25 लाख रूपए तक का ईलाज मुफ्त जारी रखने की मांग, गीग और प्लेटफार्म श्रमिकों को श्रमिक के रूप में मान्यता दी जाए और उन पर सभी श्रम कानून लागू किये जाने की मांग, श्रम विभाग निर्माण मजदूरों कि सभी योजना व रजिस्ट्रेशन का समय 30 दिन के अंदर पूरा किया जाये और शुभ शक्ति योजना चालू किये जाए तथा सेस वसूली में तेजी लाई जाये तथा उचित सेस वसूली की मांग, स्मार्ट मीटर योजना को बंद किया जाए तथा बिजली के निजीकरण पर रोक लगाई जाने की मांग, सरकारी विभाग में खाली पड़े समस्त पदों को नई भर्ती कर भरा जाए तथा संविदा पर लगे कर्मचारियों को स्थाई किया जाए, राज्य के ईंट भट्टों पर जलाई का सीजन हर साल 01 नवम्बर से 30 अप्रैल तक किया जाए।
राष्ट्रीय हित में भारतीय रेलवे, सड़क परिवहन, कोयला खाद्यानों और अन्य गैर कोयला खाद्यानों, परिवहन यातायात, बंदरगाह, रक्षा, बिजली, इस्पात, पैट्रोलियम, डाक, दूरसंचार, बैंक और बीमा क्षेत्र आदि के निजीकरण अभियान पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाने की मांग रखी।
इस मौके परयूनियन के जिला अध्यक्ष दीपक व्यास, महामंत्री कान सिंह, भेरू सिंह, सत्यनारायण सेन, नंदलाल गाडरी, गोपाल गुर्जर, शंकर लाल खोईवाल, मेवाराम, मोहम्मद हुसैन कुरैशी, गोपाल तेली, एटक यूनियन के कामरेड ओम प्रकाश शर्मा, शंकर लाल भील, रोडवेज यूनियन के साथी कामरेड जमील अहमद, मनोहर लाल शर्मा, भगवान सिंह, राजेंद्र सेन, पन्नालाल चौधरी, शराफत अली राजेन्द्र विश्नोई, सीटू यूनियन के प्रांतीय प्रतिनिधि ओमप्रकाश देवानी, मंजू आचार्य, पूजा विश्नोई, गीता नट, टेक्सटाइल यूनियन के जिला अध्यक्ष सोनू शर्मा, रामनिवास शर्मा, करण सिंह, वसीम मोहम्मद, नरेश मराठा, मेडिकल रिप्रजेन्टेटिव यूनियन के रामेश्वर लाल जाट, कपिल शर्मा, रामचन्द्र, जितेन्द्र शर्मा, रतनलाल, सद्दाम हुसैन, किसान सभा के कैलाश गहलोत आदि प्रतिनिधियों ने भाग लिया।