भीलवाड़ा में प्रजापति समाज का प्रदर्शन: चिमनी ईंट भट्टा उद्योग पर रोक लगाने की मांग
भीलवाड़ा । आवा-कजावा संघर्ष समिति, भीलवाड़ा के तत्वावधान में आज समस्त प्रजापति/कुम्हार समाज ने जिला कलेक्टर कार्यालय पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन जिला कलेक्टर को सौंपा।
ज्ञापन में समाज ने चिमनी ईंट भट्टा उद्योग वालों की मनमानी पर रोक लगाने और आवा-कजावा भट्टों पर किसी भी तरह की पाबंदी न लगाने की मांग की। समाज का कहना है कि आवा-कजावा भट्टे प्रजापति समाज के पारंपरिक लघु उद्योग का हिस्सा हैं, जिनसे हजारों परिवार अपना जीवन यापन करते हैं। ज्ञापन में सरकार से मिट्टी दोहन की छूट जारी रखने और किसी भी तरह की रॉयल्टी न लगाने की अपील की गई है। समाज ने ईंट भट्टा यूनियन द्वारा दिए गए ज्ञापन का विरोध करते हुए कहा कि चिमनी भट्टों से प्रतिस्पर्धा से उनके लघु उद्योग पर संकट आ गया है।
प्रदर्शनकारियों ने श्रीयादे माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष पद को लेकर भी प्रमुख मांग रखी। समाज का कहना है कि इस पद पर प्रजापति समाज के किसी अनुभवी व्यक्ति को नियुक्त किया जाना चाहिए ताकि वे माटी कला को बढ़ावा देने और समाज के हितों की रक्षा करने में सक्षम हों। इस प्रदर्शन से प्रजापति समाज ने सरकार से अपनी मांगों पर गंभीरता से विचार करने और उन्हें पूरा करने का आग्रह किया है। समाज ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे आगे भी प्रदर्शन जारी रखेंगे।
समाज का आरोप है कि बोर्ड की स्थापना के बाद से अध्यक्ष पद पर हमेशा कुमावत समाज के व्यक्ति को बैठाया गया है, जिससे समाज को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वर्तमान में अध्यक्ष प्रहलाद राय टांक को हटाने और किसी कु्हार/प्रजापति समाज के व्यक्ति को यह जिम्मेदारी देने की मांग की गई है ताकि समाज की कला और लघु उद्योगों को बढ़ावा मिल सके। इसके अलावा देवनारायण बोर्ड की तर्ज पर प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं के लिए स्कूटी वितरण और छात्रवृत्ति योजना शुरू की जाए। समाज की कुल देवी श्रीयादे माता की जयंती (माघ सुदी तीज) पर राजकीय अवकाश घोषित किया जाए। मिट्टी के बर्तन और खिलौने बेचने के लिए जिला और तहसील स्तर पर अलग से हाट बाजार आवंटित किए जाएं। शहरी क्षेत्रों में छात्रों के लिए
छात्रावास निर्माण हेतु भूमि आवंटित की जाए। लघु उद्योग को बचाने के लिए मिट्टी दोहन पर पाबंदी न लगाई जाए और सरकार द्वारा सभी करों से छूट प्रदान की जाए। समाज ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को नहीं माना गया तो हजारों परिवार बेरोजगार हो जाएंगे और उनका पारंपरिक व्यवसाय बंद होने के कगार पर आ जाएगा।
