रामलीला समापन में पहुंचे धीरज गुर्जर, प्रभु श्रीराम से लिया आशीर्वाद

शक्करगढ़ स्थानीय कस्बे में रामलीला मंच पर चल रहे आयोजन का समापन गुरुवार रात भव्यता और धार्मिक उत्साह के साथ हुआ। इस अवसर पर कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव एवं पूर्व मंत्री धीरज गुर्जर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। उन्होंने प्रभु श्रीराम के अयोध्या आगमन की झांकी पर आरती उतारी और रामायण जी की आरती कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
धर्म और कर्म का महत्व
अपने संबोधन में धीरज गुर्जर ने कहा कि राम और रावण की राशि एक थी, कृष्ण और कंस की राशि एक थी, लेकिन अपने-अपने कर्मों से एक देवता बने और दूसरे दानव। यही जीवन का संदेश है कि इंसान अपने कर्मों से ही बड़ा बनता है। उन्होंने कहा कि रामायण हमें सिखाती है कि अन्याय और अहंकार का अंत निश्चित है तथा सत्य और धर्म की सदैव जीत होती है।
भगवान के दरबार में कोई इंसान मुख्य अतिथि नहीं
इस दौरान जब आयोजन समिति और ग्रामीणों ने उन्हें मंच से मुख्य अतिथि बताया, तो उन्होंने विनम्रता से कहा—
“भगवान के दरबार में कोई इंसान मुख्य अतिथि नहीं होता। जहां राम का नाम लिया जाता है, वहां सबसे पहले हनुमान जी पहुंचते हैं।”
राजनीति को धर्म से जोड़ा
धीरज गुर्जर ने आगे कहा कि राजनीति भी तभी सार्थक है जब उसमें सेवा और सत्य का भाव हो। उन्होंने कहा—
“रामराज्य एक आदर्श था, जिसमें न्याय, समानता और भाईचारे का माहौल था। आज की राजनीति को भी उसी दिशा में चलने की जरूरत है। कांग्रेस पार्टी हमेशा गरीब, किसान, मजदूर और आमजन के साथ खड़ी रही है। यही राम के दिखाए मार्ग पर चलने का सच्चा प्रयास है।”
उन्होंने यह भी कहा कि देश और प्रदेश की राजनीति में नफरत और विभाजन नहीं, बल्कि आपसी प्रेम और भाईचारे की जरूरत है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे रामायण से प्रेरणा लेकर समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं।
कार्यक्रम में उमड़ी भीड़
रामलीला के समापन कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण, महिला-पुरुष और युवा मौजूद रहे। मंच पर रामचरितमानस के प्रसंगों को जीवंत झांकियों और नाट्य रूपांतरण के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। समापन पर पूरा वातावरण जय श्रीराम और हनुमान जी की जय के गगनभेदी नारों से गूंज उठा।
आयोजकों ने बताया कि शक्करगढ़ की रामलीला वर्षों से धार्मिक आस्था और सामाजिक एकता का प्रतीक रही है।
