मेजा नहरों की जर्जर स्थिति: सिंचाई के पानी पर संकट की आशंका

मेजा नहरों की जर्जर स्थिति: सिंचाई के पानी पर संकट की आशंका
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भीलवाड़ा। मेजा बांध की नहरों की सफाई को लेकर किसानों की चिंताएं अब दूर होने लगी हैं। 21 नवंबर से नहरों में पानी छोड़ने की तैयारियों के बीच, जल संसाधन विभाग ने किसानों की आशंकाओं को गंभीरता से लिया है और सफाई कार्य में लापरवाही बरतने वाले ठेकेदार को सख्त पाबंद किया है। विभाग ने आश्वस्त किया है कि प्रत्येक खेत तक पूरा पानी पहुंचाया जाएगा।

15 अक्टूबर को हुई मेजा बांध जल वितरण समिति की बैठक में सुवाणा और मांडल ब्लॉक के किसानों ने नहरों की खराब स्थिति और अपर्याप्त सफाई पर सवाल उठाए थे। किसानों ने साफ कहा था कि यदि गंदगी और झाड़ियां नहीं हटीं तो पानी अंतिम छोर तक नहीं पहुंचेगा। बैठक में मौजूद एडीएम प्रशासन रणजीत सिंह गोदारा, शहर विधायक अशोक कोठारी और जिला परिषद सीईओ चंद्रभान सिंह भाटी के सामने किसानों ने अपनी चिंता व्यक्त की थी।

पूर्व में कार्यकारी अभियंता (एक्सईएन)द्वारा मुख्य नहरों से लेकर माइनर तक की सफाई का भरोसा दिया गया था, लेकिन जमीनी हकीकत निराशाजनक थी।

> "नहरों की साफ सफाई को लेकर ठेकेदार को पाबंद किया जाएगा। लापरवाही बरतने पर कार्यवाही होगी। किसानों तक पूरा पानी पहुंचे, इसकी पूरी तैयारी की जाएगी।"

> — हितेश मेघवाल, एक्सईएन

विभाग ने किसानों की बात मानते हुए तत्काल कार्यवाही की है और शहर से गुजरने वाली 6 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर सहित अन्य माइनरों की सफाई पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं। झाड़ियों, पेड़-पौधों और मलबे को हटाने का काम युद्धस्तर पर शुरू कर दिया गया है ताकि 21 नवंबर को नहरों का संचालन सुचारू रूप से हो सके।

मेजा बांध का जलस्तर हुआ संतोषजनक

मेजा बांध में जलस्तर भी किसानों के लिए राहत भरी खबर लाया है। मातृकुंडिया बांध से मेजा फीडर के माध्यम से लगातार पानी की आवक के कारण, बांध का जलस्तर बढ़कर 29.10 फीट तक पहुंच गया है, जबकि मानसून के अंत में यह 28.70 फीट था।

21 नवंबर से नहरों का संचालन शुरू होने के बाद, यह जलस्तर सिंचाई के लिए उपलब्ध होगा।

नहरों की सफाई को लेकर विभाग की इस तत्परता से किसानों में उम्मीद जगी है कि अब उनके खेतों को पर्याप्त पानी मिल पाएगा, जिससे रबी की फसल अच्छी होने की संभावना है।

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