जीवन में बोलने का विवेक जरूरी– मुमुक्षु भाविका
पुर। उपनगर पुर के तेरापंथ भवन में पर्युषण पर्व के दौरान मौन दिवस पर मुमुक्षु संयोजिका भाविका ने मौन का महत्व बताते हुए सभी श्रावको सभी मौन की पचरंगी करने के लिए प्रेरित किया एवं बताया कि बोलना भी जरूरी है और मौन रहना भी जरूरी है पर उससे भी ज्यादा जरूरी बोलना और नहीं बोलने का विवेक। इससे पूर्व मुमुक्षु रक्षा ने धर्म श्रवण की दुर्लभता बताते हुए अनेक उदाहरण के साथ मौन के महत्व को समझाया और महावीर महावीर जीवन वृतांत सुनाया।
वही सायंकालीन प्रवचन में मुमुक्षु रिचा धैर्य के बारे में चर्चा की और बताया कि धैर्य का मतलब हाथ पर हाथ रखकर बैठना नहीं है बल्कि अपने सम्यक पुरुषार्थ के साथ लक्ष्य प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयास करना है। इससे पूर्व सामायिक दिवस पर ममत्व से समत्व की दूरी का रास्ता मिटाते हुए सामायिक कब, क्यूं और कैसे करनी चाहिए इसके बारे में बताया गया।