सबकी इच्छा पूरी होती इच्छापूणी माता चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया

सबकी इच्छा पूरी होती इच्छापूणी माता चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया
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भीलवाड़ा( पिकू खोतानी) गांधी सागर तालाब मार्ग पर स्थित जय मां इच्छापूणी माता का मंदिर आस्था प्रमुख स्थल बन गया हैं। हजारों अनुयायियों के श्रद्धा का केंद्र बन गया। यहां आने वाले भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी होती हैं।

गद्दीनशीं पारी माता ने 1985 में अपने छोटे से भूखंड पर पंजाब की इच्छापूर्ण माता की कृपा से मंदिर की स्थापना की। धीरे धीरे लोगों की आस्था पर पारी माता खरी उतरी। इस मंदिर को स्थापित करने के लिए पारी माता ने अपने बेशकीमती भूखंड का त्याग तो किया हैं। जो कीमती जेवर थे वो भी इस मंदिर के निर्माण पर समर्पित कर दिया। इस दौरान माता जी अपनी चार बेटियों और एक बेटे का लालन-पालन भी किया। मंदिर के लिए माता की मूर्ति जयपुर से लाकर स्थापित की। माता रानी की कृपा इतनी बरसी की यहां सच्चे मन से जो आया उसकी हर मनोकामना पूरी हुई।

आज भीलवाड़ा शहर के साथ अन्य स्थानों से भी श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं की आस्था के कारण ही आज मंदिर शिव व राम दरबार तो स्थापित हैं।जय मां इच्छापूणी,काली माता, लक्ष्मी , लक्ष्मी नारायण, राधाकृष्णन की मूर्तियां स्थापित हैं।

नवरात्र के दौरान नौ दिन तक अनुष्ठान होते हैं। सुबह पांच बजे आरती होती हैं। छह बजे हवन, प्रवचन होते हैं महिला मंडल भजन का आयोजन करती हैं।

नवरात्र में पारी माता बिना अन्न,जल ग्रहण किए एक ही स्थान पर बैठी रहती हैं। यहां वो अपने हाथों में ज्वारे उगाती है। इसके अलावा चमत्कार भी दिखाती हैं। नवरात्र के अंतिम दिन विशाल भंडारा होता जो सुबह से शाम तक चलता हैं।

पारी माता साल में एक बार अपने भक्तों के साथ वैष्णो देवी दर्शन करने जाती हैं । इनमें भक्तों की संख्या 161व 108 होती हैं।

यहां पर सेवादार पीताम्बर आसनानी, गगंराम पेशवानी,परिवार, प्रकाश लखवानी,अनिल आसनानी,रोहित नंदवानी, अशोक नंदवानी,वरुण बालानी, विक्रांत शर्मा अपनी सेवाएं देते हैं।

वर्तमान में पारी माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं हैं । फिर अपने भक्तों के लिए हमेशा तैयार रहती हैं।

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