सायरन बजेगा, बिजली कटेगी: मॉक ड्रिल के बारे में वह सब कुछ, जो आप जानना चाहते हैं? जानें कौन होगा शामिल और कैसे करें तैयारी

मॉक ड्रिल के बारे में वह सब कुछ, जो आप जानना चाहते हैं? जानें कौन होगा शामिल और कैसे करें तैयारी
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पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच उपजे तनाव के बीच देश में बुधवार को 300 से अधिक जिलों में सरकार सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित करने जा रही है। परमाणु संयंत्रों, सैन्य ठिकानों, रिफाइनरी और जलविद्युत बांधों जैसे संवेदनशील प्रतिष्ठानों वाले करीब 300 नागरिक सुरक्षा जिलों में हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन, ‘शत्रुतापूर्ण हमले’ के लिए सिविल डिफेंस और बंकरों और खंदकों की सफाई के साथ मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा।

इस अभ्यास के तहत ब्लैकआउट (बिजली कटौती), एयर रेड सायरन (हवाई हमले की चेतावनी) और निकासी प्रक्रियाओं जैसी स्थितियों का अभ्यास किया जाएगा। सिविल डिफेंस जिले अग्रिम पंक्ति के क्षेत्र होते हैं, जिनका कार्य एयर रेड ड्रिल, ब्लैकआउट अभ्यास, निकासी प्रोटोकॉल और नागरिक जागरूकता सत्र जैसी नागरिक सुरक्षा गतिविधियों को संगठित करना, निष्पादित करना और बेहतर बनाना होता है।

अधिकारियों के अनुसार, यह अभ्यास किसी आसन्न युद्ध का संकेत नहीं है, बल्कि यह सिविल डिफेंस नियमावली, 1968 के तहत लंबे समय से चले आ रहे ढांचे का हिस्सा है। यह नियम शीत युद्ध के दौर के हैं, लेकिन अब इन्हें आधुनिक खतरों के अनुसार नया रूप दिया जा रहा है। यह ड्रिल भारत की युद्ध जैसी आपात स्थितियों में तेज और समन्वित प्रतिक्रिया की क्षमता को परखने के लिए आयोजित की जा रही है।

सिविल डिफेंस जिले क्या हैं?

सिविल डिफेंस जिले ऐसे निर्दिष्ट क्षेत्र हैं जहां भारत सरकार सक्रिय रूप से सिविल डिफेंस कार्यक्रमों को लागू करती है। ये जिले युद्ध, हवाई हमले, मिसाइल हमले या बड़े पैमाने पर आतंकवादी हमलों जैसी आपात स्थितियों के मामले में तैयारी गतिविधियों के लिए प्रशासनिक और परिचालन केंद्र के रूप में काम करते हैं। उनकी भूमिका संसाधनों को व्यवस्थित करना, नागरिकों और स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करना और कई सरकारी और नागरिक एजेंसियों से जुड़ी प्रतिक्रियाओं का समन्वय करना है।




सिविल डिफेंस जिले ये कार्य करते हैं:

स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करना और उन्हें संगठित करना।

ब्लैकआउट और निकासी अभ्यास आयोजित करना।

होम गार्ड, एनसीसी, एनएसएस, पुलिस और स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय का प्रबंधन करना।

सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाना और आश्रय योजना पर काम करना।

सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल क्या है?

सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल एक ऐसा अभ्यास होता है जिसमें वास्तविक परिस्थितियों की तरह ही हवाई हमले के सायरन बजाए जाते हैं, शहरों को ब्लैकआउट (बिजली गुल) किया जाता है, नागरिकों को सुरक्षित आश्रयों में ले जाया जाता है और इमरजेंसी टीमें अपनी भूमिका निभाती हैं। इसका मकसद नागरिकों में जागरूकता बढ़ाना और आपदा के समय घबराहट, भ्रम और नुकसान को कम करना होता है।


7 मई का अभ्यास क्यों महत्वपूर्ण है?

7 मई, 2025 का अभ्यास हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश भर में जारी निर्देशों का हिस्सा है। इसका उद्देश्य युद्ध जैसे हालात में भारत की नागरिक तैयारियों का परीक्षण करना है। केंद्र, राज्य और जिला अधिकारियों के बीच समन्वय में सुधार करना। शीत युद्ध के दौर की प्रथाओं को आज के सुरक्षा माहौल के हिसाब से अपडेट करना है।

अभ्यास के दौरान क्या गतिविधियां होंगी?

एयर रेड सायरन: सायरनों के माध्यम से जनता को सतर्क करने की व्यवस्था की जांच की जाएगी।

ब्लैकआउट: आपात स्थिति में बिजली की आपूर्ति बंद कर ब्लैकआउट की प्रक्रिया का अभ्यास किया जाएगा।

कैमोफ्लाज अभ्यास: बिजली संयंत्रों और दूरसंचार टावरों जैसी रणनीतिक संपत्तियों को अस्थायी रूप से हवाई दृश्य से छिपाने का अभ्यास।

निकासी अभ्यास: उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों से आपात स्थिति में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की रणनीति

सार्वजनिक प्रशिक्षण सत्र: स्कूलों और कार्यालयों में सत्र आपातकालीन प्राथमिक चिकित्सा, आश्रय अभ्यास और शांत प्रतिक्रिया व्यवहार सिखाएंगे।

सिविल डिफेंस अभ्यास में कौन भाग लेगा?

सिविल डिफेंस में कर्मियों और स्वयंसेवकों का एक विस्तृत नेटवर्क शामिल होगा।

समन्वय के लिए जिला प्रशासन।

होम गार्ड और नागरिक सुरक्षा वार्डन।

सामुदायिक आउटरीच और समर्थन के लिए एनसीसी, एनएसएस और छात्र।

अर्धसैनिक और पुलिस बल।

नागरिकों को अभ्यास के लिए कैसे तैयार होना चाहिए?

आवश्यक चीजें हाथ में रखें: पानी, टॉर्च, बुनियादी दवाइयां।

गलत सूचना से बचें - केवल आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें।

स्थानीय निर्देशों का पालन करें - अधिकारियों के साथ सहयोग करें।

अपने इलाके में जागरूकता सत्र या अभ्यास में शामिल हों।


यह मॉक ड्रिल क्यों है महत्वपूर्ण?

दुनियाभर में बढ़ते सैन्य तनाव और संभावित संघर्षों की आशंका के बीच, यह मॉक ड्रिल भारत की आपातकालीन तैयारियों को सशक्त बनाने और आम नागरिकों को जागरूक करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वर्तमान में कोई सीधा खतरा नहीं है, लेकिन सुरक्षा और सजगता के लिए पूर्व तैयारी अनिवार्य है। यह अभ्यास वास्तविक परिस्थितियों की नकल करते हुए आम जनता के बीच में किया जाएगा, ताकि नागरिक संकट की घड़ी में घबराने के बजाय अनुशासित, समझदार और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देना सीख सकें। इस ड्रिल का उद्देश्य न केवल प्रशासनिक तालमेल को परखना है, बल्कि लोगों में जागरूकता और आत्मविश्वास भी विकसित करना है, जिससे किसी भी आपदा या हमले की स्थिति में देश संगठित होकर सामना कर सके।

मॉक ड्रिल के बाद क्या होगा?

जब मॉक ड्रिल हो जाएगी तो ड्रिल में शामिल होने वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एक्शन रिपोर्ट पेश करनी होगी। इस रिपोर्ट में एक्शन, कार्यान्वयन, निष्कर्ष और सुधार के क्षेत्रों की जानकारी शामिल होगी।




कैसे तय किए जाते हैं सिविल डिफेंस जिले

सिविल डिफेंस जिले और सामान्य प्रशासनिक जिले भिन्न होते हैं। किसी भौगोलिक क्षेत्र में छावनी, रिफाइनरी या परमाणु संयंत्र होने पर उसे आवश्यकता और तात्कालिकता के आधार पर 'सिविल डिफेंस जिले' के रूप में चिह्नित किया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से निकटता: पंजाब, राजस्थान, गुजरात और जम्मू-कश्मीर के जिलों को उनकी अग्रिम पंक्ति की स्थिति के कारण प्राथमिकता दी गई है।

महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे: रक्षा प्रतिष्ठानों, बिजली ग्रिड, रिफाइनरियों, बंदरगाहों और संचार नेटवर्क वाले क्षेत्रों को इसमें शामिल किया गया है।

शहरी घनत्व और जनसंख्या जोखिम: बड़े शहरी केंद्रों के लक्ष्य बनने की अधिक संभावना होती है और उन्हें जटिल निकासी और जागरूकता योजना की आवश्यकता होती है।

तटीय संवेदनशीलता: तटीय जिलों, विशेष रूप से समुद्री खतरों के संपर्क में आने वाले जिलों की रणनीतिक भूमिका के लिए महत्व दिया जाता है।

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