मुर्गीपालन को व्यवसाय के रूप में अपनाये किसान-डाॅ. बी. निर्मला

मुर्गीपालन को व्यवसाय के रूप में अपनाये किसान-डाॅ. बी. निर्मला
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भीलवाड़ा। कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा पर राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबन्धन अकादमी, हैदराबाद द्वारा प्रायोजित अनुसूचित जाति उपयोजनान्र्तगत पाँच दिवसीय कौशल प्रशिक्षण घर के पिछवाड़े मुर्गीपालन द्वारा दक्षता विकास विषय पर दिनांक 08 से 12 दिसम्बर 2025 तक आयोजित किया गया। प्रशिक्षण के समापन के अवसर पर नार्म हैदराबाद की प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. बी. निर्मला ने किसानों को आह्वान किया कि किसान भाई मुर्गीपालन को व्यवसाय के रूप में अपनाकर अतिरिक्त आमदनी द्वारा आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया। डाॅ. बी. निर्मला ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को स्वयं का मुर्गीपालन उद्यम स्थापित करने की भी आवश्यकता जताई एवं महिला मुर्गीपालकों का उत्साहवर्धन के साथ-साथ घर के पोषण स्तर एवं आजीविका सुदृढ़ करने के लिए मुर्गीपालन व्यवसाय की अहम आवश्यकता बताई।

केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डाॅ. सी. एम. यादव ने नार्म हैदराबाद के निदेशक डाॅ. गोपाल लाल एवं वैज्ञानिकों का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि मुर्गीपालन द्वारा किसान भाई अधिक आय प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन सकेंगे। डाॅ. यादव ने मुर्गियों की उन्नत नस्लें, मुर्गियों का आहार एवं आवास की जानकारी देते हुए प्रमुख रोग एवं रोग प्रबन्धन की जानकारी से अवगत कराया। डाॅ. यादव ने बताया कि सभी किसानों को मुर्गीपालन व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रति किसान प्रतापधन नस्ल के 20-20 चूजे एवं फीडर निःशुल्क उपलब्ध करवाये गये। डाॅ. यादव ने प्रतापधन नस्ल की मुर्गी की प्रमुख विशेषताओं से अवगत करवाते हुए मुर्गीपालन हेतु आवश्यक दशाएँ, आवास एवं आहार प्रबन्धन, प्रमुख रोग एवं रोगपचार की तकनीकी जानकारी से अवगत करवाया। वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता डाॅ. लालचन्द कुमावत ने मुर्गीपालन व्यवसाय करने हेतु बाजार मांग एवं विपणन की प्रमुख जानकारी दी। प्रशिक्षण में कृषि महाविद्यालय भीलवाड़ा के पूर्व डीन डाॅ. के. एल. जीनगर, डाॅ. सुचित्रा दाधीच, प्लानिंग एवं माॅनिटरिंग निदेशालय, उदयपुर के पूर्व निदेशक डॉ. जे. एल. चौधरी, पशुपालन वैज्ञानिक डाॅ.एच.एल. बुगालिया, फार्म मैनेजर गोपाल लाल टेपन ने भी मुर्गीपालन हेतु तकनीकी जानकारी से रूबरू करवाया। प्रशिक्षण में मुर्गियों का स्वास्थ्य प्रबन्धन, इन्क्युबेटर, हेचिंग एवं केज प्रणाली की तकनीकी की जानकारी दी गई। प्रशिक्षण में भीलवाड़ा जिले के 40 कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया।

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