जीवन में सेवा, करुणा और भक्ति के बीज बोते हैं त्यौहार - स्वामी अच्युतानंद



भीलवाड़ा । श्री रामधाम रामायण मंडल ट्रस्ट द्वारा रामधाम में आयोजित चातुर्मास प्रवचन में केदारखण्ड, अगस्त्य मुनि आश्रम से पधारे स्वामी अच्युतानंद ने भक्तों को रक्षाबंधन का महत्व बताया । उन्होंने कहा कि हिंदू पर्व केवल सामाजिक मिलन का माध्यम नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करने वाले केंद्र हैं। ये पर्व हमें भगवान से जोड़ते हैं, समाज में प्रेम और एकता का संदेश फैलाते हैं तथा जीवन में सेवा, करुणा और भक्ति के बीज बोते हैं। स्वामी जी ने श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दोहराया — “मामेकं शरणं व्रज” अर्थात अंत में भगवान की शरण ही मोक्ष का मार्ग है। उन्होंने रामचरितमानस के भाव भी सुनाए —“संत समाज मंगलमय होता है, संत चलते-फिरते तीर्थ होते हैं और वे तीर्थों को भी पवित्र कर देते हैं।”रक्षाबंधन की कथा सुनाते हुए उन्होंने बताया कि कैसे माता लक्ष्मी ने बलि राजा को राखी बांधकर उन्हें धर्म और भक्ति के मार्ग पर अग्रसर किया। संदेश यह था कि रक्षा का असली अर्थ है — एक-दूसरे के सत्कर्म और आध्यात्मिक उन्नति की रक्षा करना।प्रवचन में विशेष रूप से आगामी पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की चर्चा हुई। स्वामी जी ने बताया कि 16 अगस्त को रामधाम मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। इस दिन पुष्पों, रत्नाभूषणों और पारंपरिक परिधान से श्रीकृष्ण को अलंकृत कर माखन-मिश्री का भोग लगाया जाएगा। दिनभर भजन-कीर्तन, कथा व प्रसाद वितरण के कार्यक्रम होंगे, जिसमें सभी भक्त शामिल होकर आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे। अंत में भंवर शर्मा और संजीव गुप्ता ने माल्यार्पण कर संत का स्वागत किया और सभी भक्तों को धर्ममार्ग पर चलने का आह्वान किया।ट्रस्ट के सचिव अभिषेक अग्रवाल व प्रवक्ता गोविन्द प्रसाद सोडानी ने बताया कि चातुर्मास प्रवचन प्रतिदिन सुबह 9 बजे हो रहा है। ट्रस्ट का साप्ताहिक रामायण पाठ रविवार को रामधाम में हुआ। भक्तों ने इसमें बढ़ चढ़कर भाग लिया। इससे पूर्व पूर्णिमा पर हवन का आयोजन हुआ। गायों को लापसी खिलाई गईं।

Tags

Next Story