रायपुर तहसील में अवैध खनन पर लगा 3 करोड़ का जुर्माना, ग्रामीणों की चुप्पी पर उठे सवाल

रायपुर तहसील में अवैध खनन पर लगा 3 करोड़ का जुर्माना, ग्रामीणों की चुप्पी पर उठे सवाल
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भीलवाड़ा। रायपुर तहसील क्षेत्र में बाड़ी, पाटिया, खेडा, बागोलिया और धूलखेड़ा ग्राम पंचायतों में वर्षों से चल रहे अवैध बजरी खनन मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है। खनन विभाग, भीलवाड़ा द्वारा की गई कार्रवाई में संबंधित खनन पट्टाधारियों पर 3 करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना तकनीकी निरीक्षण और अवैध खनन प्रमाणित होने के बाद लगाया गया।

इससे पहले विधायक लादू लाल पितलिया ने पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि थानेदार और डिप्टी एसपी की मिलीभगत से खनन माफिया बेखौफ होकर काम कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि 16 जून तक कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन होगा।

लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जुर्माने के ऐलान के बाद, विरोध कर रहे ग्रामीण मौन हो गए हैं। जिन लोगों ने पहले धरने की चेतावनी दी थी, वे अब शांत हैं। सवाल यह है कि क्या जुर्माना ही इस गंभीर समस्या का समाधान है, या फिर इस कार्रवाई से लोगों को केवल सांत्वना मिली है?

ग्रामीणों की प्रतिक्रिया:

भारत न्यूज़ टीम द्वारा की गई पड़ताल में कुछ ग्रामीणों ने बताया कि,

> "अभी भी रात के अंधेरे में ट्रैक्टर और मशीनें बजरी ढो रही हैं। ऊपर से कार्रवाई हुई है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस बदलाव नहीं दिख रहा।"

विधायक पितलिया ने दोहराया कि अगर दोषियों पर निलंबन और स्थानांतरण जैसे सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो वह मुख्यमंत्री से मिलकर कार्रवाई की मांग करेंगे।

प्रशासन की चुप्पी और ग्रामीणों की असमंजस भरी चुप्पी ने पूरे मामले को और उलझा दिया है। सवाल उठना लाज़मी है —

क्या 3 करोड़ का जुर्माना सिर्फ दिखावा है?

क्या अवैध खनन वाकई रुका है?

और क्या सिस्टम में बैठे कुछ लोग इस लूट में शामिल हैं?

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