इतिहास में पहली बार एक से पचास दिन की तपस्या की अविच्छिन्न लड़ी — एक अद्भुत मिसाल

अहमदाबाद (गुजरात) 11.03.2025, मंगलवार, युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि पारस कुमार जी कल 50 दिन की निराहार तपस्या का पारणा करेंगे।एक दिन के व्रत में भी जहां लोगों को दिन में तारे दिख दिखने लग जाते है वहीं 50 दिनों तक जैन मुनि श्री पारस द्वारा केवल जल पर रहकर, अन्न, फल, दूध आदि का पूर्ण त्याग कर तपस्या करना अपने आप में आश्चर्यजनक अद्भुत घटना है। लगभग डेढ़ मास से भी अधिक समय तक अन्न का एक भी दाना ग्रहण नहीं करना और अपनी साधु चर्या की गतिविधियां भी समुचित रूप से चालू रखना साधना, तपस्या का ही चमत्कार है। ऐसे तो जैन धर्म में तपस्या की साधना आम बात है किंतु आज के समय में जहां लोग फास्ट फूड, जंक फूड खाने के शौकीन होते है। खाने के लिए आधी रात में भी कही से कहीं पहुंच जाते है और भूख लगते ही ऑनलाइन ऑर्डर द्वारा तुरंत खाना पहुंच जाता है ऐसे में यह तपस्या और विशेष बन जाती है।
पूर्व में 18 मासखमण और 54 दिन का तप कर चुके
संसारपक्ष में राजस्थान के लच्छुड़ा (भीलवाड़ा) ग्राम के मुनि पारस कुमार जी ने सन् 1984 में तेरापंथ के नवम अधिशास्ता आचार्य श्री तुलसी से जोधपुर में जैन मुनि दीक्षा ग्रहण की। और अपना जीवन मानों तपस्या में ही झोंक दिया। 68 वर्षीय मुनिश्री पारस पूर्व में 18 मासखमण एवं एक से उनपचास दिन तक की तपस्या लड़ी संपन्न कर चुके है। साथ ही 51, 54 दिन का तप भी आपने निराहार रहकर संपन्न किया है। 736 उपवास, 183 तेले की तपस्या, 24 अठाई, 9 वर्षीतप और भी सैकड़ों तप आपने पूर्ण किए है। गतवर्ष ही सूरत चातुर्मास में आचार्य श्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में आपने उनपचास दिन की तपस्या की थी।
जैन शासन का ऐतिहासिक गौरव
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के आगामी अहमदाबाद चातुर्मास के हेतु से वर्तमान में 70 से भी अधिक साधु–साध्वी अहमदाबाद में प्रवास कर रहे है और धर्म प्रचार का कार्य कर रहे है। मोटेरा में प्रवास कर रहे मुनि श्री पारस कुमार जी की यह 50 दिन की तपस्या न केवल जैन शासन बल्कि समग्र अध्यात्मिक संसार के लिए प्रेरणास्त्रोत है। तपस्या की इस ऐतिहासिक श्रृंखला के पूर्ण होने के साथ ही जैन धर्म के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा। मुनिश्री की यह तपस्या आने वाली पीढ़ियों को दिखाती है कि जब मन में साधना की ज्वाला जलती है, तो असंभव भी संभव बन जाता है।