कोरोना ने छीना माता-पिता का साया, झोंपड़ी में जिंदगी जीने को मजबूर चार मासूम

भीलवाड़ा। जिले की कोठाज ग्राम पंचायत के भगवानपुरा गांव से एक बेहद मार्मिक तस्वीर सामने आई है, जहां कोरोना काल में माता-पिता को खो चुके चार मासूम बच्चे अपनी बुजुर्ग दादी के साथ एक झोंपड़ी में जीवन गुजारने को मजबूर हैं। न इनके पास रहने का पक्का ठिकाना है और न ही पढ़ाई और भोजन की समुचित व्यवस्था। आसपास के लोगों की दया और मदद के सहारे इन बच्चों का जीवन किसी तरह आगे बढ़ रहा है।
यह पीड़ादायक कहानी मांडलगढ़ में मुख्यमंत्री की सभा से पहले उस समय सामने आई, जब भगवानपुरा के ये चारों बच्चे किसी तरह जिला कलेक्टर जसमीत सिंह तक पहुंचे और अपनी व्यथा सुनाई। बच्चों ने बताया कि वे दूसरों की जमीन पर बनी एक झोंपड़ी में दादी के साथ रहते हैं। कोरोना काल में माता-पिता की मौत के बाद उन्हें किसी भी सरकारी योजना या सहायता का लाभ नहीं मिला।
बच्चों का कहना है कि आर्थिक तंगी के कारण वे स्कूल भी नहीं जा पा रहे हैं। पहले दादी ही उनका एकमात्र सहारा थीं, लेकिन उम्र और कमजोरी के चलते अब वे भी ज्यादा काम करने में असमर्थ हैं। ऐसे में बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता और बढ़ गई है।
मामला सामने आने के बाद जिला कलेक्टर ने बच्चों को हरसंभव सहायता दिलाने का आश्वासन दिया है। अब देखना यह है कि प्रशासनिक संवेदनशीलता इन मासूमों की जिंदगी में कब और कितना उजाला ला पाती है।
