घुमंतू छात्रावास में निशुल्क प्रवेश शुरू, छात्रों को गोद लेने की अपील

भीलवाड़ा । श्री केशव स्मृति सेवा प्रन्यास द्वारा अंबेडकर नगर में संचालित गुरु कानिफनाथ छात्रावास, घुमंतू जाति के बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजाला फैलाने के लिए एक बार फिर तैयार है। नए शैक्षणिक सत्र के लिए प्रवेश प्रक्रिया विधिवत प्रारंभ हो चुकी है, जो इन वंचित बच्चों के भविष्य को संवारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रन्यास के अध्यक्ष हीरालाल टेलर और सचिव रवींद्र मानसिंहका ने हर्ष व्यक्त करते हुए बताया कि सपेरे, बंजारा, कंजर, गाडोलिया लुहार जैसी घुमंतू समुदायों के 7 से 12 वर्ष आयु वर्ग के बालकों को छात्रावास में प्रवेश दिया जा रहा है। यह पहल विशेष रूप से उन परिवारों के लिए है जो अपने बच्चों को शिक्षा से जोड़ने में आर्थिक या सामाजिक बाधाओं का सामना करते हैं।
निःशुल्क शिक्षा और सर्वांगीण विकास
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इन बालकों के अभिभावकों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जा रहा है। बच्चों की शिक्षा, आवास, भोजन और अन्य सभी सुविधाओं का संपूर्ण खर्च श्री केशव स्मृति सेवा प्रन्यास द्वारा वहन किया जा रहा है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी बच्चा संसाधनों की कमी के कारण शिक्षा से वंचित न रहे। छात्रावास में बच्चों के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं 'माकुल' (पर्याप्त और उचित) ढंग से उपलब्ध कराई गई हैं, जो उनके सर्वांगीण विकास के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करती हैं।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर
शिक्षा के महत्व को समझते हुए, प्रन्यास ने बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षण की व्यवस्था की है। कक्षा 1 से 5 तक के बालक अंबेडकर नगर स्थित प्रतिष्ठित आदर्श विद्या मंदिर विद्यालय में अध्ययनरत हैं, जबकि कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को शास्त्री नगर स्थित आदर्श विद्या मंदिर में शिक्षा ग्रहण कराई जा रही है। यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि बच्चे मुख्यधारा की शिक्षा से जुड़ सकें और एक उज्ज्वल भविष्य की नींव रख सकें।
'हित चिंतक' योजना: एक आह्वान
इस पुनीत कार्य में समाज के सहयोग को आमंत्रित करते हुए 'हित चिंतक' योजना भी जारी है। गणेश सुथार और विशाल गुरुजी ने बताया कि प्रत्येक विद्यार्थी का वार्षिक खर्च लगभग ₹90,000 आता है। यह एक महत्वपूर्ण राशि है, और प्रन्यास समाज के संवेदनशील व्यक्तियों, संगठनों और दानदाताओं से अपील करता है कि वे इन बालकों को 'गोद' लेकर उनके भविष्य को सुरक्षित करने में अपना योगदान दें। इच्छुक व्यक्ति प्रन्यास से संपर्क कर इस नेक कार्य का हिस्सा बन सकते हैं और इन बच्चों के सपनों को पंख दे सकते हैं। यह पहल न केवल घुमंतू बच्चों को शिक्षा का अधिकार दे रही है, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सशक्त माध्यम भी बन रही है।