होली पर सोने के भक्त प्रहलाद ओर चांदी की होलिका की करते पुजा

भीलवाड़ा शहर के समीप प्राचीन बडी हरणी मैं होली पर एक बेहद अनोखी और खास परंपरा के कारण इसे अन्य गांव से अलग बना दिया है और इसी खास परंपरा के चलते अब इस गांव की ख्याति दूर-दूर तक हो चुकी है इस गांव में होली पर सोने के भक्त प्रहलाद चांदी की होली की गोद में बैठाते हैं और फिर मंत्रोचार सभी रस्मो रिवाज के साथ पूजा संपन्न होती है इस अनूठी परम्परा के पीछे का कारण हम आपको बताते हैं।
हुआ यूं कि सालों पहले होली के लिए पेड़ काटने को लेकर इसी हरणी गांव में विवाद में आगज़नी की घटना हो गयी थी इसी विवाद के कारण गांव वालों ने तय कर लिया कि अब हम होली पेड़ काटकर नहीं मनाएंगे और गांव वालों ने सोने के प्रहलाद और चांदी की होली बनाकर उसकी पूजा शुरु कर होली का त्यौहार मनाने की एक अनूठी परंपरा शुरु कर दी जो आज भी बदस्तूर जारी है।
पण्डित गोपाललाल शर्मा ने बताया की होलिका दहन के दिन हरणी गांव में सभी ग्रामीण चारभुजा मंदिर पर इकट्ठा होते है और फिर ढोल नगाड़ों के साथ सोने के प्रहलाद और चांदी की होली की शोभा यात्रा गांव में निकाल कर होलिका दहन स्थल तक तक ले जाते हैं और फिर वह पूजा करके फिर वापस मंदिर में लाकर स्थापित कर देते हैं।
हरणी गांव के ग्रामीण रामेश्वर लाल जाट ने कहा कि भीलवाड़ा शहर से 3 किलोमीटर दूर हमारे गांव बड़ी हरणी में होलिका दहन के लिए पेड़ काटने को लेकर विवाद हो गया था और आग लग गई थी जिसके कारण आज से 71 वर्ष पूर्व गांव के बुजुर्गों ने मिलकर यह निर्णय ले लिया कि अब हम होलिका दहन के लिए पेड़ नहीं काटेंगे और गांव के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर सोने के प्रहलाद और चांदी की होली बनवा ली।
बड़ी हरणी गांव निवासी सोहनलाल तेली कहते हैं कि हम लोगों का सभी लोगों से भी यही अनुरोध है कि वे पेड़ ना काटे और पर्यावरण को बचाने में जुट जाए जिस तरह से 71 साल पूर्व हमारे गांव में संकल्प लिया कि हम आज के बाद पेड़ काटकर होलिका दहन नहीं करेंगे वैसे बाकी लोगों को भी आगे आकर प्रर्यावरण सरक्षण में सहयोग करना चाहिए।