थाने से महज 50 मीटर दूर, दिन रात शमशान खोदने में लगे बजरी माफिया
मंगरोप (मुकेश खटीक) गांव के शमशान से ग्रामीणों द्वारा बजरी नहीं भरने की हिदायत के बावजूद बजरी माफिया अपनी कारस्तानियों से बाज नहीं आ रहे है। थाने से महज 50 मीटर की दूरी पर बजरी माफिया दिन रात शमशान खोदनें में लगे हुए है। शमशान में दफ़न बच्चों के शवों को भी बजरी के साथ भरकर ले जा रहे है। इससे आक्रोशित करीब दो दर्जन ग्रामीण शनिवार दोपहर बाद नदी स्थित शमशान गए जहां करीब 20 से 22 ट्रैक्टर बजरी दोहन करते हुए मिले। ग्रामीणों नें मौके पर बजरी दोहन कर रहे ट्रेक्टर चालकों से बजरी खाली करवा दी और आइंदा शमशान क्षेत्र से बजरी दोहन नहीं करने की हिदायत दे डाली। ग्रामीणों नें बताया की गांव में करीब 8,500 की आबादी है बनास नदी में स्थित शमशान घाट दाह संस्कार करने का गांव में एक मात्र स्थान है कई पीढ़ियों से लोग यहांपर दाह संस्कार करते आ रहे है लेकिन पिछले एक साल के भीतर बजरी माफियाओं नें अपने स्वार्थ के लिए पुरे शमशान को उजाड़ दिया है। माफियाओं नें शमशान में 10 से 15 फिट गहरे गड्ढे कर दिए है जिससे वहापर दाह संस्कार करने में भी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। नदी में जगह जगह बड़े बड़े गड्ढे हों जाने के कारण दाह संस्कार करते समय शमशान में पर्याप्त जगह नहीं होने से लोगों को दूर किनारे पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। शनिवार को करीब दो दर्जन से अधिक ग्रामीण बनास नदी स्थित शमशान पर पहुंचे जहां 20-22 ट्रेक्टर बजरी भरते हुए मिले ग्रामीणों नें ट्रेक्टर से बजरी खाली करवा दी। बजरी माफियाओं के हौसले इतने बुलंद होते जा रहे है की जाते जाते ग्रामीणों को भीलवाड़ा की तरफ आनें पर मारपीट करने की तक धमकियां दे डाली। शमशान बचाने के लिए ग्रामीणों नें बनास नदी तट पर मोर्चा खोलते हुए बनास बचाओ सेवा समिति का गठन कर डाला। जब तक शमशान से बजरी दोहन पर रोक नहीं लगेगी तब तक वहीं बैठकर आंदोलन करेंगे। पूर्व में भी बनास बचाओ आंदोलन समिति द्वारा शमशान घाट से हो रहे निरंतर बजरी दोहन पर मोर्चा खोला गया था लेकिन प्रशासनिक अनदेखी के चलते वर्तमान समय में पूरा श्मशान उजड़ने की कगार पर खड़ा है।ग्रामीणों नें प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि बनास नदी में स्थित अगर शमशान को समय रहते नहीं बचाया गया तो लोगों को अपने घर के आंगन में दाह संस्कार करने को मजबूर होना पड़ेगा।