राजस्थान हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: 14 जिलों के डेटा एंट्री और कंप्यूटर ऑपरेटरों को बड़ी राहत

राजस्थान हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: 14 जिलों के डेटा एंट्री और कंप्यूटर ऑपरेटरों को बड़ी राहत
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भीलवाड़ा, : राजस्थान हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, उदयपुर सहित प्रदेश के 14 जिलों में मनरेगा के तहत कार्यरत डेटा एंट्री और कंप्यूटर ऑपरेटरों को बड़ी राहत प्रदान की है। जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण और जस्टिस बिपिन गुप्ता की खंडपीठ ने राजस्थान कांट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट्स रूल्स 2022 के तहत लाभ देने का आदेश दिया। इस फैसले से हजारों कॉन्ट्रेक्चुअल कर्मचारियों को नई उम्मीद और सम्मानजनक कार्यस्थिति मिलने की संभावना है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यदि कोई कर्मचारी 2022 नियमों की शर्तों को पूरा करता है, चाहे वह सरकार द्वारा सीधे नियुक्त हो या प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से, उसे लाभ मिलना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विज्ञापन का स्रोत—सरकारी या एजेंसी—मायने नहीं रखता। प्रत्येक कर्मचारी के मामले की व्यक्तिगत जांच के निर्देश दिए गए हैं।

यह मामला मनरेगा के तहत प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए नियुक्त डेटा एंट्री और कंप्यूटर ऑपरेटरों से जुड़ा था। कुल 19 याचिकाओं पर यह संयुक्त फैसला सुनाया गया, जिसमें जोधपुर, नागौर, झालावाड़, बीकानेर, डूंगरपुर, भीलवाड़ा, पाली, उदयपुर, हनुमानगढ़, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, जैसलमेर, चूरू, जालौर आदि जिलों के 296 याचिकाकर्ता शामिल थे।

राज्य सरकार ने तर्क दिया कि केवल सरकारी विज्ञापन के जरिए नियुक्त कर्मचारियों को ही 2022 नियमों का लाभ मिलेगा, और प्लेसमेंट एजेंसी के कर्मचारी इसके दायरे से बाहर हैं। सरकार ने 5 जनवरी 2023 के निर्देश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि एजेंसी या जॉब बेसिस पर कार्यरत कर्मचारियों को लाभ नहीं मिलेगा।

हाईकोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि 2022 नियमों में चार शर्तें हैं: पद प्रशासनिक विभाग द्वारा निर्मित हो, वित्त विभाग की सहमति हो, चयन सार्वजनिक विज्ञापन से हुआ हो, और कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर कार्यरत हो। कोर्ट ने जोर दिया कि नियम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कॉन्ट्रैक्ट में भेद नहीं करते।

न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के मंगलौर गणेश बीड़ी वर्क्स बनाम भारत संघ के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि कल्याणकारी कानून के तहत मुख्य नियोक्ता जिम्मेदार है, भले ही नियुक्ति ठेकेदार के माध्यम से हुई हो। 2022 नियमों को कल्याणकारी बताते हुए कोर्ट ने कहा कि इनका उद्देश्य कॉन्ट्रेक्चुअल कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना है।

राज्य सरकार ने माना कि एजेंसी के कर्मचारी भी योग्यता रखते हैं और समान कार्य करते हैं, फिर भी उन्हें लाभ से वंचित रखा गया। कोर्ट ने इस विरोधाभास पर सवाल उठाया और 5 अगस्त 2025 को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा, जिसे 26 अगस्त 2025 को सुनाया गया। यह फैसला प्रदेश के हजारों कॉन्ट्रेक्चुअल कर्मचारियों के लिए नया रास्ता खोलेगा। कोर्ट ने चेतावनी दी कि इन कर्मचारियों को लाभ से वंचित करना शोषण को बढ़ावा देगा और अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों का उल्लंघन होगा।

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