हरणी गांव में नहीं होता है होली का दहन

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भीलवाड़ा। होलिका दहन के दिन हरणी गांव में सभी ग्रामीण चारभुजा मंदिर पर इकट्ठा होते हैं और फिर ढोल-नगाड़ों के साथ सोने के प्रहलाद और चांदी की होली की शोभा यात्रा गांव में निकाल कर होलिका दहन स्थल तक ले जाते हैं। उसके बाद पूजा करके फिर वापस मंदिर में लाकर स्थापित कर देते हैं।

हरणी गांव के एक बुर्जुग ने कहा कि भीलवाड़ा शहर से 3 किलोमीटर दूर हमारे गांव हरणी गांव में होलिका दहन के लिए पेड़ काटने को लेकर विवाद हो गया था और आग लग गई थी। जिसके कारण आज से वर्षों पूर्व गांव के बुजुर्गों ने मिलकर यह निर्णय ले लिया कि अब हम होलिका दहन के लिए पेड़ नहीं काटेंगे। गांव के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर सोने के प्रहलाद और चांदी की होली बनवा ली। हम लोगों का सभी लोगों से यही अनुरोध है कि वे पेड़ न काटें और पर्यावरण को बचाने में जुट जाएं। जिस तरह से बहुत पहले हमारे गांव में लोगों ने संकल्प लिया कि हम आज के बाद पेड़ काटकर होलिका दहन नहीं करेंगे, वैसे बाकी लोगों को भी आगे आकर प्रर्यावरण संरक्षण में सहयोग करना चाहिए।

वहीं, गांव के एक अन्य ने कहा कि भीलवाड़ा शहर के पास हरणी गांव स्थित है। हमारे गांव में पहले होलिका दहन किया जाता था, लेकिन आग लगने की की घटना के बाद यहां होलिका दहन बंद कर दिया गया। होलिका दहन बंद करने के बाद पूरे ग्रामवासी गांव में ही स्थित जगदंबा के स्थान पर एकत्रित हुए और वहां सामूहिक रूप से होलिका दहन बंद करने का निर्णय लिया। उसके बाद पूरे गांव में पैसे एकत्रित करके चांदी की होली बनाई और अब चांदी की होली का व सोने के भक्त प्रहलाद की पूजा की जाती है।

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