वंदे मातरम्' की अमर प्रेरणा: भीलवाड़ा बना 'राष्ट्रगीत उद्घोष' का केंद्र

भीलवाड़ा । राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम्' के 150वें रचना वर्ष के पावन अवसर पर भारत विकास परिषद राजस्थान मध्य प्रांत ने एक ऐतिहासिक पहल की है, जिसके तहत उन्होंने इस अमर राष्ट्रगीत का हिंदी भावार्थ तैयार कर अपनी सभी शाखाओं तक पहुंचाया है। प्रांतीय महासचिव आनंद सिंह राठौड़ एवं वित्त सचिव अमित सोनी ने बताया कि परिषद का यह कदम 'वंदे मातरम्' के मर्म को जन-जन तक पहुँचाकर राष्ट्रप्रेम की भावना को और भी अधिक प्रगाढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। परिषद ने यह भावार्थ न केवल वितरित किया है, बल्कि इसे एक संकल्प के रूप में लिया है कि उद्बोधन में हमेशा "वंदे मातरम्" ही कहा जाए, जिससे यह एक व्यक्तिगत और सांगठनिक पहचान बन सके। भारत विकास परिषद वर्षों से अपने संवादों, विशेषकर दूरभाष पर बातचीत की शुरुआत, 'वंदे मातरम्' के जयघोष से करने की परंपरा को बनाए हुए है, और भीलवाड़ा स्थित शाखाओं ने तो इस संस्कृति को एक नई ऊँचाई दी है। यहाँ के कार्यकर्ता इस उद्घोष को रक्त में समाहित मानकर चलते हैं। जब भी भीलवाड़ा भारत विकास परिषद से देश के किसी भी कोने में फोन जाता है, तो सामने से 'वंदे मातरम्' का उद्घोष ही सुनाई देता है, जो परिषद के राष्ट्र समर्पित संकल्प को दोहराता है और उसकी एक विशिष्ट 'ब्रांडिंग' भी करता है।
परिषद द्वारा जारी इस हिंदी भावार्थ में माँ भारती की छवि का अत्यंत मनोहारी और व्यापक वर्णन किया गया है। माता को जल, फल तथा फूलों से भरी हुई, शीतल पवन की लहरों से शीतल होने वाली तथा रात्रि की शांति से भरपूर बताया गया है। वह सदैव हँसमुख, वरदायिनी और शुष्कप्रकाशिनी (तेजस्विनी) हैं। इसके साथ ही उन्हें दुर्जेय शत्रु-संहारिणी दुर्गा और कमल पर विराजमान विद्यादायिनी सरस्वती-लक्ष्मी के रूप में पूजनीय बताया गया है। इस भावार्थ का उद्देश्य यह है कि परिषद के कार्यकर्ता केवल राष्ट्रगीत गाएँ ही नहीं, बल्कि उसके गहन अर्थ को समझकर उसे अपने जीवन में आत्मसात कर सकें। मध्य प्रांत की यह मुहिम 'वंदे मातरम्' को केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक जीवन-शैली और राष्ट्र चेतना का प्रतीक बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है। परिषद पिछले कई वर्षों से वंदे मातरम प्रतियोगिता का आयोजन भी कर रहा है। परिषद की ओर से प्रकाशित संस्कार सरिता पुस्तक में भी वंदे मातरम का पूरा उल्लेख है। परिषद में सभी कार्यकर्ताओं के लिए वंदे मातरम का उद्बोधन अनिवार्य कर रखा है।
