स्थानीय फल एवं सब्जियों का प्रसंस्करण कर आमदनी बढ़ाये-डॉ. संधू

स्थानीय फल एवं सब्जियों का प्रसंस्करण कर आमदनी बढ़ाये-डॉ. संधू
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भीलवाड़ा |कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा पर राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबन्धन अकादमी, हैदराबाद द्वारा प्रायोजित स्थानीय फलों और सब्जियों के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर उद्यमिता विकास विषय पर पाँच दिवसीय कौशल प्रशिक्षण का समापन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व उपमहानिदेशक-आईसीएआर एवं कुलपति एसकेएनएयू, जोबनेर डॉ. जे. एस. संधु ने बताया कि प्रसंस्करण का ज्ञान असीमित है, अतः हमें और सीखना है। डॉ. संधु ने बताया कि मौसमी फल एवं सब्जियों का सर्वाधिक महत्त्व बेमौसम में होता है अतः इनका प्रसंस्करण कर अधिक आमदनी प्राप्त करें साथ ही बताया कि प्रसंस्करण के समय शुद्धता का भी ध्यान रखें। डॉ. संधु ने कम कीमत में अच्छा उत्पाद बनाना, मशीनरी का उपयोग कर समय एवं श्रम बचाना एवं अधिक जानने के प्रति जिज्ञासा रखने पर जोर दिया। कार्यक्रम में अति विशिष्ट अतिथि डॉ. जे. पी. मिश्रा, निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्-कृषि तकनीकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोधपुर क्षेत्र 2 ने महिला प्रशिक्षणर्थियों को आह्वान किया कि प्रशिक्षण के दौरान सीखी गई तकनीकी को आगे बढ़ाने की मुहिम शुरू करें तथा मौसमी फल एवं सब्जियों का मूल्य संवर्धन एवं प्रसंस्करण कर बाजार से जोड़ने की आवश्यकता प्रतिपादित की। डॉ. मिश्रा ने स्वयं सहायता समूह के माध्यम से उद्यम स्थापित करने एवं कृषि विज्ञान केन्द्र का सहयोग लेने पर जोर दिया। डॉ. लोकेश गुप्ता, सदस्य-प्रबन्ध कार्यकारिणी मण्ड़ल, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर तथा अधिष्ठाता डेयरी एवं खाद्य विज्ञान प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, उदयपुर ने बताया कि महिलाओं को किसी के सामने हाथ नही फैलाना पड़े अतः प्रशिक्षण के माध्यम से कौशल विकास आवश्यक। डॉ. गुप्ता ने पपीता का अचार बनाना, सीताफल एवं लहसुन का प्रसंस्करण तथा गाँव या अपने आस-पास उपलब्ध होने वाले उत्पादों का प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन द्वारा आमदनी बढ़ाने की आवश्यकता जताई। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सी. एम. यादव ने बताया कि महिलाओं को स्वयं सहायता समूह बनाने एवं स्वयं का उद्यम स्थापित करने में पूरा सहयोग किया जायेगा ताकि महिलाएँ अपनी आजीविका सुरक्षित कर सके। तकनीकी सहायक अनिता यादव ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान नीम गिलोय, करेला, चुकन्दर, मिश्रित फल एवं पाईनेपल का ज्यूस, आलू एवं केला चिप्स, आम, नींबू एवं हरी मिर्च का अचार, आम की लौंजी, जामुन, गुलाब, एवं केरी-पुदीना शर्बत, टॉमेटो केचप, मशरूम का अचार आदि बनाना सिखाया। प्रशिक्षण में 30 महिलाओं ने भाग लिया जिन्हें ज्यूसर-मिक्सर, प्रशिक्षण बुकलेट एवं प्रमाण पत्र दिये गये। प्रशिक्षण का संचालन एवं धन्यवाद डॉ. राजेश जलवानियाँ ने दिया।

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