माइनिंग विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में बनास नदी के बहते पानी में फिर चली जेसीबी मशीनें

माइनिंग विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में बनास नदी के बहते पानी में फिर चली जेसीबी मशीनें
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आकोला( रमेश चंद्र डाड)कस्बे के निकट बहने वाली बनास नदी में अवैध बजरी खनन का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा। ग्रामीणों के विरोध, धरना-प्रदर्शन और हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद ठेकेदार ने दोबारा माइनिंग विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में जेसीबी मशीनें बनास नदी के बहते पानी में उतार दीं। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि माइनिंग विभाग की गाड़ी नंबर 0122 मौके पर मौजूद थी । फिर भी अधिकारियों ने न तो खनन रोका और न ही कार्रवाई की। ग्रामीणों में इस लापरवाही को लेकर भारी आक्रोश है। ग्रामीणों के अनुसार जब उन्होंने ठेकेदार और पुलिस प्रशासन से खनन की वैधता पूछी। तो ठेकेदारों ने बिना प्लॉट नंबर वाला पत्र दिखाया। इससे यह साफ हो गया कि खनन पूरी तरह अवैध और प्रशासनिक संरक्षण में किया जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि रॉयल्टी कर्मचारी और पुलिस प्रशासन ग्रामीणों को खाली हाथ नदी क्षेत्र में जाने से भी रोकते हैं। जिससे अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है। ग्रामीणों द्वारा जब माइनिंग विभाग के फोरमैन से पूछा गया कि नदी में चल रही जेसीबी मशीनों को कोई अनुमति है या नहीं। तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके पास कोई परमिशन नहीं है। ग्रामीणों ने कहा कि हाईकोर्ट की सिविल पिटीशन 4250/2012 के बावजूद लीजधारक महादेव एन्क्लेव प्राइवेट लिमिटेड खुलेआम 8–10 मीटर गहराई तक खनन कर रहा है, जबकि अनुमति केवल 0.5 मीटर की है। इससे पर्यावरण को गहरा नुकसान और सरकार को करोड़ों की हानि हो रही है। “हमने ज्ञापन भी दिया, धरना भी किया, लेकिन जेसीबी फिर चल पड़ी। अब अगर प्रशासन नहीं जागा, तो बनास बचाने सड़कों पर उतरेंगे। ग्रामीण प्रतिनिधि, चांदगढ़–जीवा का खेड़ा क्षेत्र

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