कथा कहे सो कथक: कथक के मंदिर, मुगल, रंगमच काल के इतिहास को जाना

कथक के मंदिर, मुगल, रंगमच काल के इतिहास को जाना
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भीलवाड़ाहलचल

स्पिक मैके (सोसायटी फॉर द प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्युजिक एण्ड कल्चरल अमंग्स्ट यूथ) एवं इण्डियन ऑयल कॉर्पोरेशन के सहयोग से चल रहे वर्कशॉप ड्रेमोस्ट्रेशन कार्यक्रम के दूसरे दिन आज दिनांक 24.07.2024 को कत्थक नृत्यांगना वर्षा दास गुप्ता की प्रथम प्रस्तुती प्रातः 8 बजे रा.उ.मा.वि. तस्वारिया एवं द्वितीय प्रस्तुती 10 बजे स्वामी विवेकानन्द राजकीय मॉडल स्कूल तस्वारिया में हुई।

बताया कि वर्षादास गुप्ता ने अपनी प्रस्तुति गणेश शिव स्तुति से करते हुये पृथ्वी पर गंगावतरण, शिव का कैलाश स्वरूप बताते हुये कहा कि भरत मुनि के नाट्य शास्त्र में वर्णित संयुक्त व असंयुक्त मुद्रा को समझाते हुये। कत्थक के मंदिर, मुगल एवं रंग मंच काल को समझातेे हुये ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। पुराने जमाने में जो कथा कहते थे वो कत्थक कहलाये।शास्त्रीय एवं लोक नृत्य को समझाते हुये देवी स्तुति में भगवती के स्वरूप को जीवन्त कर दिया। गुरू विदुषी गीतांजलि लाल द्वारा निर्देशित ठुमरी कृष्ण एवं राधा की प्रेम कहानी के साथ-साथ कृष्ण कवित को छात्र-छात्राओं को सिखाया। अतः में दोनों विद्यालयों के संस्था प्रधान सुरेन्द्र माहेश्वरी, मनीष गर्ग ने कलाकार का आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम कोर्डिनेटर अनु प्रजापत के अनुसार 25 जुलाई को वर्षा दास की प्रथम प्रस्तुति रा.बा.उ.मा.वि. बापूनगर एवं द्वितीय प्रस्तुती प्रातः 09.30 बजे महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल शास्त्रीनगर में होगी।

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