स्वच्छता ही सेवा पखवाडा अन्तर्गत हुआ व्याख्यान का आयोजन

स्वच्छता ही सेवा पखवाडा अन्तर्गत हुआ व्याख्यान का आयोजन
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भीलवाड़ा, । सेठ मुरलीधर मानसिंहका राजकीय कन्या महाविद्यालय में शुक्रवार को राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में 2 अक्टूबर तक चल रहे “स्वच्छता ही सेवा“ पखवाड़ा के अंतर्गत प्राचार्य डॉ. सावन कुमार जांगिड़ की अध्यक्षता में व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान के मुख्य वक्ता डॉ. सीमा गौड़ ने स्वच्छता के विभिन्न पहलुओं को छूते हुए छात्राओं को स्वच्छता अपनाने का संदेश दिया । डॉ गौड़ ने छात्राओं को स्वच्छता को केवल भौतिक दृष्टि से ही नहीं अपितु मानसिक दृष्टि से भी देखने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने स्वयं सेविकाओं से कहा कि कोई भी संपत्ति चाहे वह सार्वजनिक हो या निजी उसमें अपनत्व का भाव तभी झलकता है जब वह स्वच्छ हो। उन्होंने कहा कि समाज सेवा करने के लिए हमें स्वच्छता की शुरूआत स्वयं से करनी है और अपने आप को स्वच्छ रखते हुए समाज में सभी को स्वच्छ बनाए रखने के लिए प्रेरित करना है।

प्राचार्य ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि समाज और देश को विकसित करने के लिए प्रत्येक अवसर पर हमें एक बुराई का त्याग करना चाहिए तथा देश के लिए हमें समर्पण की भावना रखनी चाहिए इसके लिए हमें साफ और स्वच्छ एवं शांत वातावरण में रहना होगा।

राष्ट्रीय सेवा योजना प्रभारी रीना सालोदिया ने बताया कि ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेकर स्वच्छता के प्रति लोगों में जागरूकता को बढ़ावा देना राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेविकाओं का दायित्व है। कार्यक्रम अधिकारी कृष्ण कुमार मीना ने स्वच्छता केवल एक जिम्मेदारी नहीं बल्कि स्वस्थ और खुशहाल जीवन का आधार भी है। कार्यक्रम अधिकारी डॉ अंजली अग्रवाल ने स्वयं सेविकाओं को सिंगल यूज प्लास्टिक उपयोग न करने के प्रति लोगों में जागरूकता को बढ़ावा देने को कहा।

भाषण प्रतियोगिता में राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयं सेविकाओं एवं महाविद्यालय की छात्राओं ने महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके जीवन की गौरव गाथा को सभी के समक्ष प्रस्तुत किया। प्रतियोगिता में स्वयं सेविकाओं ने अपने भाषणों से दिवेर युद्ध की जीवंतता को सबके समक्ष रखा।

भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर रुचिका कंवर राणावत, द्वितीय दीपिका खींची एवं तृतीय निशा कंवर राठौर रही। राष्ट्रीय सेवा योजना प्रभारी रीना सालोदिया ने महाराणा प्रताप के मेवाड़ की धारा पर जन्म लेने के भावों को स्वयं सेविकाओं के समक्ष प्रस्तुत किया ।

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