कान्हा की बाल लीलाओं ने मोहा मन,गूंजे गिरिराज धरण के जयकारे

भीलवाड़ा । भगवान श्रीकृष्ण की जीवन की हर बात कोई न कोई संदेश देने वाली है। सुख-दुःख जीवन का हिस्सा है लेकिन कुछ लोग आत्मज्ञान प्राप्त कर इससे उपर आनंद की स्थिति में पहुंच जाते है। आनंद से भी उपर की स्थिति परमानंद की होती है जो भगवान की शरण में जाने से ही प्राप्त होती है। हंसते हुए प्राकट्य होने वाले श्रीकृष्ण का नाम ही आनंद व उत्सव का प्रतीक है। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से हर स्थिति में मुस्कराने की कला सीख सकते है। ये बात शहर के रोडवेज बस स्टेण्ड के पास अग्रवाल उत्सव भवन में गुरूवार को पोरवाल परिवार की ओर से सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव पांचवें दिन व्यास पीठ से कथा वाचन करते हुए सोजत रामद्वारा के रामस्नेही संत श्री मुमुक्षु रामजी महाराज ने कहीं। कथा के पांचवें दिन श्रीकृष्ण बाल लीला, गोवर्धन पूजा प्रसंग का वाचन हुआ। महाराजश्री ने भगवान श्रीकृष्ण की बाललीला से जुड़े विभिन्न प्रसंगों का वाचन करते हुए कहा कि माता यशोदा ने गोविन्द के विराट एवं शिशु दोनों रूप देखे। नंद और यशोदा ने कन्हैया की बाल लीलाओं का आनंद किस तरह प्राप्त किया इसकी भी चर्चा की। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के गोवर्धन पर्वत को धारण करने के प्रसंग का वाचन करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने गिरिराज गोवर्धन महाराज की पूजा करने की प्रेरणा प्रदान करके देवराज इन्द्र के अभिमान को नष्ट किया। इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर उठाने के कारण भगवान को गिरिराज धरण का नाम भी दिया गया। इस प्रसंग के दौरान पांडाल गिरिराज धरण के जयकारों से गूंज उठा। कथा के दौरान भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप के दर्शन करने के लिए भगवान शंकर के जोगी का रूप लेकर यशोदा के घर आने, कान्हा के कालिया नाग पर विजय प्राप्त कर उसके फन पर नृत्य करने के प्रसंग की भी चर्चा की। कृष्ण व राधा के गोपियों संग रास रचाने के प्रसंग के दौरान संत मुमुक्षु रामजी महाराज ने बताया कि किस तरह राधा के घर से प्रस्ताव आने पर बरसाने में राधा रानी ओर कृष्ण का विवाह रचाया जाता है। कथा में गिरिराज महाराज, कृष्ण व राधा की सजीव झांकिया भी सजाई गई।श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव में पांचवें दिन भी विभिन्न प्रसंगों के वाचन के दौरान श्रद्धालु संगीतमय भक्तिरस में डूबे रहे। कृष्ण की बाललीला प्रसंग की चर्चा करते हुए जब छोटी-छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल, छोटो सो म्हारो मदन गोपाल, गोकुल नगरी में मच गया शोर, यशोदा के हुए नंदलाल बधाई सारा भगता ने, कभी पान चढ़े कभी फूल चढ़े, मेरे राधा रमण गिरधारी जैसे भजन गाए गए तो पूरा पांडाल भक्तिसागर में डूब झूमने लगा। श्रद्धालु इन भजनों पर जमकर नृत्य करते रहे। बाल लीला प्रसंगों से भजनों से भक्ति की ऐसी रसधारा बहाई जिसमें डूबकर श्रद्धालु जमकर नृत्य करते रहे। पांचवें दिन कथा में व्यास पीठ का आशीर्वाद प्राप्त करने वाले अतिथियों में आरसीएम ग्रुप के प्रकाश छाबड़ा, जिला शिक्षा अधिकारी राजेन्द्र गग्गड़, समाजसेवी कांतिलाल जैन, हरिनारायण मोदानी, राकेश माहेश्वरी, माहेश्वरी नगर सभा के मंत्री संजय जागेटिया, उपाध्यक्ष महावीर समदानी, प्रहलाद नुवाल, बद्रीलाल लड्ढा, गणेश काबरा, रमेश अजमेरा, कैलाश काबरा, विनय माहेश्वरी,सुरेश आगाल, रामप्रकाश काबरा आदि शामिल थे। अतिथियों का स्वागत पोरवाल परिवार के सदस्यों ने किया। कथा प्रारंभ एवं समापन के अवसर पर श्रद्धालुओं ने व्यास पीठ की आरती की। श्रीमद् भागवत कथा का वाचन प्रतिदिन दोपहर एक से शाम 5 बजे तक हो रहा है। कथा में छठे दिन शुक्रवार 26 दिसम्बर को रास महोत्सव, उद्धव गोपी संवाद, रूक्मणी विवाह प्रसंग का वाचन एवं शाम 7.30 बजे से कथास्थल पर भक्ति संध्या का आयोजन होगा।
